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वैज्ञानिकों ने जीन संपादन से तैयार किए 30% ज्यादा मीठे और सेहतमंद टमाटर

टमाटर का जंगली पूर्वज एक छोटा सा, स्वाद में भरपूर फल था। लेकिन बीते सौ वर्षों में, इंसानों ने बड़े आकार वाले टमाटर उगाने शुरू कर दिए — जिससे स्वाद और मिठास घट गई, क्योंकि शक्कर की मात्रा ज्यादा कोशिकाओं में फैल गई।

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जयपुर। फलों के शौकीनों को अक्सर शिकायत रहती है कि सुपरमार्केट में बिकने वाले टमाटर दिखने में तो सुंदर होते हैं, लेकिन स्वाद में फीके। अब चीन के वैज्ञानिकों ने यह दिखाया है कि जीन एडिटिंग (gene editing) की मदद से टमाटर को ज्यादा मीठा बनाया जा सकता है — वो भी बिना उपज घटाए। चीन के वैज्ञानिकों ने CRISPR-Cas9 तकनीक से दो ऐसे जीन (SlCDPK27 और SlCDPK26) को बंद किया, जो पके हुए टमाटर में चीनी बनने की प्रक्रिया को रोकते हैं। इसके बाद टमाटर में ग्लूकोज़ और फ्रुक्टोज़ की मात्रा करीब 30% तक बढ़ गई, जबकि टमाटर की पैदावार पहले जैसी ही बनी रही।

स्वाद और आकार के बीच सौ साल पुराना समझौता

टमाटर का जंगली पूर्वज एक छोटा सा, स्वाद में भरपूर फल था। लेकिन बीते सौ वर्षों में, इंसानों ने बड़े आकार वाले टमाटर उगाने शुरू कर दिए — जिससे स्वाद और मिठास घट गई, क्योंकि शक्कर की मात्रा ज्यादा कोशिकाओं में फैल गई। अभी तक किसान बड़े आकार के टमाटर इसलिए उगाते रहे हैं क्योंकि अधिक उपज = अधिक आमदनी। इसलिए अब वैज्ञानिक ऐसा तरीका खोज रहे हैं जिससे टमाटर का आकार और मिठास दोनों बरकरार रह सकें।

दो “ब्रेक” जीन हटाए, मिठास बढ़ाई

शोधकर्ताओं ने पाया कि दो जीन ऐसे हैं जो टमाटर में शक्कर बनाने वाले एंजाइम को नष्ट कर देते हैं। जब इन जीन को निष्क्रिय किया गया, तो वो एंजाइम लंबे समय तक सक्रिय रहा और टमाटर में मिठास बढ़ गई।

नतीजा

-मिठास में 30% तक इजाफा
-उपज में कोई कमी नहीं
-बीज थोड़े हल्के जरूर हुए, लेकिन अंकुरण (germination) सामान्य रहा

पहले छोटे फलों में ही होता था ज्यादा स्वाद

वैज्ञानिकों का मानना है कि एक टमाटर के पास सीमित मात्रा में शक्कर होती है, जिसे वह पूरे फल में बाँटता है। जब टमाटर बड़ा होता है, तो शक्कर हर जगह फैल जाती है और हमें कम मिठास महसूस होती है। इस अध्ययन में केवल पके टमाटर की प्रक्रिया में बदलाव किया गया, इसलिए आकार प्रभावित नहीं हुआ। यही तकनीक अब सेब, नाशपाती और संतरे जैसे फलों में भी अपनाई जा सकती है।

स्वाद परीक्षण में भी जीता नया टमाटर

करीब 200 लोगों पर किए गए स्वाद परीक्षण में 60% लोगों ने जीन-संपादित टमाटर को ज्यादा मीठा माना — वो भी बिना यह जाने कि कौन-सा टमाटर बदला गया था। इससे ये साबित होता है कि बदलाव वाकई असरदार है। मीठे टमाटर का एक और फायदा यह भी है कि इनका रस और सॉस बनाने में कम ऊर्जा लगती है। स्वाद में संतुलन बना रहता है — मिठास के साथ हल्की खटास भी होती है।

अब बाजार की ओर कदम

जीन-संपादित टमाटर पहले से जापान में बेचे जा रहे हैं। वहां 2021 में हाई-GABA टमाटर बाजार में आ चुका है।

अन्य देशों की स्थिति:

  • इंग्लैंड और वेल्स में अभी कुछ और नियम बनने बाकी हैं
  • अमेरिका में CRISPR से तैयार ऐसे टमाटर को जल्दी मंजूरी मिल सकती है
  • भारत में फिलहाल यह तकनीक प्रयोग और नीतिगत स्तर पर है

भविष्य की योजना

वैज्ञानिक अब इस तकनीक का प्रयोग अलग-अलग बाजारों के लिए अलग स्तर की मिठास तय करने में कर रहे हैं। साथ ही वे ऐसे टमाटर विकसित करना चाहते हैं जो ज्यादा मीठे हों और लंबे समय तक ताज़ा भी रहें। इस खोज से अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे फिर से वही स्वाद वापस ला पाएंगे, जो लोगों को कभी अपने घर के बगीचों से मिलने वाले टमाटर में मिलता था। यह अध्ययन Nature' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।