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वैज्ञानिकों ने पहचान किया वो ‘मोड़’ जब शरीर तेजी से बूढ़ा होने लगता है

चीन की एक टीम ने हाल ही में मानव शरीर में प्रोटीन के पैटर्न का अध्ययन किया और यह देखा कि उम्र बढ़ने की रफ्तार कब और कहां तेज होती है।

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जयपुर। वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि हमारी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया सिर्फ चेहरे पर झुर्रियों या बालों के सफेद होने से नहीं, बल्कि हमारे शरीर के उन प्रोटीनों में होती है जो अंगों और ऊतकों को ठीक तरह से काम करने में मदद करते हैं। ये प्रोटीन उम्र के साथ बढ़ते, घटते और बदलते रहते हैं, जिससे अंगों का काम और हमारी सेहत प्रभावित होती है।

चीन की एक टीम ने हाल ही में मानव शरीर में प्रोटीन के पैटर्न का अध्ययन किया और यह देखा कि उम्र बढ़ने की रफ्तार कब और कहां तेज होती है। उन्होंने 13 अंगों और रक्त में 12,700 से अधिक प्रोटीन के स्तर को मापा, जिनमें 14 से 68 साल के लोग शामिल थे।

अध्ययन में पता चला कि उम्र बढ़ने की सबसे बड़ी बदलाव की लहर 45 से 55 साल के बीच होती है। विशेष रूप से 50 साल के आसपास एक ‘मोड़’ आता है, जब शरीर के कई अंग तेजी से बूढ़े होने लगते हैं। रक्त वाहिकाएं जल्दी बूढ़ी होने वाली ऊतकों में से एक हैं।

कुछ अंग, जैसे एड्रिनल ग्रंथि और एओर्टा, 30 साल की उम्र में ही युवा प्रोटीन पैटर्न से हटने लगते हैं, जो यह संकेत देता है कि उम्र बढ़ने की शुरुआत कुछ अंगों में जल्दी हो जाती है।

अध्ययन ने यह भी दिखाया कि उम्र बढ़ने के साथ RNA (जो प्रोटीन बनाने का ब्लूप्रिंट होता है) और प्रोटीन के बीच संबंध कमजोर होता है। प्रोटीन बनाने और बनाए रखने वाली मशीनरी कमजोर पड़ जाती है, जिससे अमाइलॉइड जैसी क्लंपिंग प्रोटीन जमा होने लगती है और हल्की लेकिन लगातार सूजन (inflammaging) बढ़ती है।

कुछ रोग-संबंधी प्रोटीन भी उम्र बढ़ने के साथ बढ़ते हैं, जो हृदय रोग, फैटी लिवर और ऊतक फाइब्रोसिस जैसी स्थितियों से जुड़े हैं।

वैज्ञानिकों ने “प्रोटीन इम्बैलेंस-वेस्कुलर हब” मॉडल तैयार किया है, जिसमें रक्त वाहिकाओं में प्रोटीन नियंत्रण में विफलता पूरे शरीर में बदलाव को प्रेरित कर सकती है। एओर्टा को ‘सेनोहब’ कहा गया है, जो उम्र बढ़ाने वाले संकेतों का स्रोत बनता है और दूर के अंगों को प्रभावित करता है।

ये खोजें उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझने और उम्र से जुड़ी बीमारियों के लिए लक्षित उपचार विकसित करने की दिशा में मदद करेंगी।

अध्ययन पूरी तरह से Cell जर्नल में प्रकाशित हुआ है।