इस जीत से नेताओं और जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता का आंकलन भी होने लगा है। एनएसयूआई की जीत से यह साफ हो गया है कि आज भी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सूर्यनगरी के जनमानस में गहरी छाप छोड़े हुए हैं। वहीं संभाग के अन्य महाविद्यालयों में एबीवीपी की जीत से संभावना जताई जा रही है कि वहां के भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधियों का दबदबा कायम है। हर बार की तरह जयपुर के राजस्थान विवि में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत ने यह बात साफ कर दी है कि जनता में दोनों ही पार्टियों को लेकर रोष है। अब आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक ही हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात रहेगी कि छात्रसंघ चुनावों से मिलने वाले इन संकेतों से चुनावी पार्टियों को कितना फायदा या नुकसान मिलेगा।
कांग्रेस-बीजेपी नेताओं को लेकर हुई चर्चा जोधपुर के जेएनवीयू में मंगलवार देर रात जारी हुए छात्रसंघ चुनावों से पहले दोनों पार्टियों के जनप्रतिनिधियों को लेकर कई प्रकार की चर्चाएं चलती रहीं। जब यह बात सामने आई कि एबीवीपी के प्रत्याशी मूलसिंह के वोट खारिज किए गए हैं तो सोशल मीडिया पर यह चर्चा फैल गई कि केंद्रीय मंत्री व सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत मतगणना केंद्र जा पहुंचे हैं। फिर इस बात पर उपजे विवाद पर एनएसयूआई के प्रत्याशी सुनील चौधरी के समर्थन में कांग्रेस के पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ व जेडीए के पूर्व चेयरमैन व कांग्रेसी नेता राजेंद्र सोलंकी के एमबीएम कॉलेज पहुंचने की बातों ने जोर पकड़ा। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर यह तक चल गया कि सुनील का समर्थन करने के लिए विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर से रवाना हो चुके हैं।