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मैं बीस साल की हूं और अपने फैसले खुद लेती हूं : सुम्बुल तौकीर खान

Sumbul touqeer khan interview: युवा शक्ति की सोच को अखबार में उतारने के लिए पत्रिका की पहल संडे यूथ गेस्ट एडिटर के तहत आज की गेस्ट एडिटर सुम्बुल तौकीर खान हैं। आप टीवी अभिनेत्री हैं। आपने बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की और आर्टिकल 15 जैसी फिल्म से अपना डेब्यू किया। आप इन दिनों एक टीवी सीरियल में महिला आइएएस ऑफिसर का किरदार निभा रही हैं। आपका मानना है कि संघर्ष और मुश्किलें ही आपको एक बेहतर व्यक्तित्व में बदलते हैं। सुम्बुल तौकीर खान से खास बातचीत और अन्य लोगों की कहानियां।

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जयपुर

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Jaya Sharma

Nov 10, 2023

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सुम्बुल तौकीर खान, संडे गेस्ट एडिटर
मैं बीस साल की हूं और अपने फैसले खुद लेती हूं। मेरे पिता ने सिखाया है कि सपने जब अपने हैं तो उन्हें पूरा भी खुद ही करना होगा। उनकी नसीहतें हमेशा मार्गदर्शन करती हैं। मैं साधारण-सी लेकिन सशक्त लड़की हूं। मेरा मानना भी यही है कि हर महिला अपने आप में सशक्त है, बस उसे अपनी शक्ति को पहचानना होगा। लोगों की बातें सुनकर अपनी काबिलियत पर संदेह न करें। सफलता की राह में बाधाएं आएंगी लेकिन हिम्मत न हारें, आगे बढ़ें।

जिम्मेदारी निभाएं, पर खुद को नहीं भूलें
महिलाएं चाहे अफसर हों या कर्मचारी, उनके सामने कई चुनौतियां होती हैं। अपनी जिम्मेदारियां पूरा करें, लेकिन खुद को न भूलें। खुद का सम्मान करें। मेरा मानना है कि यदि आप खुद का सम्मान नहीं करते हैं तो नकारात्मकता आपको घेर लेती है। आप बस अपने लक्ष्य को ध्यान में रख मंजिल की ओर बढ़ें। लोगों के सामने खुद को बार-बार प्रूव करने की कोशिश कतई न करें।

जहां तबादला होता, वहीं शुरू कर देते हैं 'निजात' अभियान
ताबीर हुसैन
रायपुर. लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने के लिए बिलासपुर एसपी संतोष सिंह ने 'निजात' अभियान की शुरुआत की है। वह काउंसलिंग के जरिए लोगों को नशे के नुकसान बताते हैं। संतोष सिंह के अभियान 'निजात' को अमरीकी संस्था आइएसीपी ने 'लीडरशिप इन क्राइम प्रिवेंशन' से सम्मानित किया है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) ने इसे देश के तीस स्मार्ट-पुलिसिंग अभियानों में शामिल किया है।

एक्शन, अवेयरनेस और काउंसलिंग
संतोष बताते हैं कि निजात अभियान की बुनियाद जुलाई 2021 में तब पड़ी जब वह कोरिया(छग) में पदस्थ थे। जैसे-जैसे उनका तबादला होता गया अभियान भी आगे बढ़ता गया। कोरिया के बाद राजनांदगांव और कोरबा में भी यह मिशन चलाया। अभी बिलासपुर में चल रहा है। इस अभियान के तीन आधार हैं। एक्शन यानी नशे का गोरखधंधा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। वहीं इस अभियान की जागरूकता श्रेणी में चौपाल, नुक्कड़ नाटक, साइकिल रैली, सेलिब्रिटी की ओर से अपील, वॉल पेंटिंग और स्कूल विजिट समेत कई कार्यक्रम किए जाते हैं जिससे लोगों को बताया जाता है कि नशा केवल व्यक्ति को नहीं पूरे परिवार को प्रभावित करता है। यह हमारी नई पीढ़ी को खराब कर रहा है। माता-पिता को चाहिए कि वह अपने किशोर बच्चों को नशे से होने वाले खतरों के बारे में बताएं। स्कूलों में भी विद्यार्थियों को धूम्रपान व मद्यपान से होने वाले नुकसान की जानकारी देनी चाहिए।

लोगों को बर्बाद होते देखा
संतोष का कहना है कि मैंने हमेशा यही सोचा था कि कॅरियर में जब किसी अच्छे ओहदे पर पहुंच जाऊंगा तो समाज के लिए कुछ अवश्य करूंगा। जब मैंने लोगों को नशे का आदी होते और परिवारों को इसकी वजह से बर्बाद होते देखा तो समाज से इस बुराई को खत्म करने की ठानी। इसलिए नौकरी में आने के बाद यह अभियान शुरू किया। अब लोग भी इससे जुडऩे लगे हैं।

गुमराह बच्चों को संगीत की शिक्षा से दिखा रहीं नई राह
नेहा सेन
जबलपुर. माया पाण्डेय उन बच्चों के लिए विशेष काम कर रहीं हैं, जो बाल सुधार गृह में रहते हैं। इस काम के लिए साल 2022 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड मिल चुका है। वह वर्तमान में बाल कल्याण समिति जबलपुर की सदस्य हैं। उन्होंने बाल सुधार गृह के बालकों के लिए सौ से अधिक वेबिनार किए हैं। माया ने बताया कि वे इस पद से नियुक्त होकर संस्था से साल 2019 से जुड़ी थीं। यह पद न्यायिक प्रक्रिया के बाद मिलता है।

कुछ नया करने की ठानी
पदभार के बाद इन बच्चों के लिए कुछ ना कुछ नया करने का ठाना। वेबिनार में बाल सुरक्षा, उनके अधिकार, सरकारी योजनाएं व चाइल्ड लाइन की जानकारी दी गई। माया बताती हैं कि वह दस वर्षों से गायन से भी जुड़ी हुई हैं। वह यहां बच्चों को संगीत की निशुल्क कक्षाएं भी देती हैं। इन बच्चों में व्यवहार परिवर्तन के लिए वह संगीत के माध्यम से निरंतर प्रयास करती हैं। इससे उनके स्वभाव में सकारात्मक बदलाव दिखने लगे हैं।