स्वीडन ने महामारी से बचाव के लिए अन्य नॉर्डिक देशों से अलग रणनीति अपनाई। लॉकडाउन रखने की बजाय ज्यादातर स्कूल, रेस्तरां, सैलून और बार खुले रखे। हालांकि लंबी यात्रा टालने का फैसला लोगों पर ही छोड़ दिया। इस फैसले की स्वीडन में ही काफी निंदा हुई।
वैक्सीन के जरिए या संक्रमित होकर ठीक होने के बाद जब 70 से 90 फीसदी आबादी संक्रामक रोगों का मुकाबला करने के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेती है। ऐसा होने पर यह उनमें भी कम फैलता है, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। क्योंकि कैरियर (वाहक) नहीं मिलने से उन तक वायरस नहीं पहुंच पाता।
* हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विशेषज्ञ माइकल मीना का कहना है कि अभी तक किसी ने भी हर्ड इम्युनिटी या वैक्सीन को हासिल नहीं किया है, जो हमें संक्रमण से मुक्ति दिला सके। स्वीडन में एंटीबॉडी वाले लोगों का प्रतिशत दूसरे देशों से अलग नहीं है। एक अध्ययन के मुताबिक स्पेन में 14 मई तक 5 फीसदी लोगों ने कोरोनावायरस के लिए एंटीबॉडी विकसित किया है।
* मिनीसोटा विवि के माइकल ऑस्टरहोम ने कहा कि हर्ड इम्युनिटी के लिए एक लंबा सफर तय करना होता है। इसमें 18 से 24 माह तक का समय लग सकता है।
* विश्व स्वास्थ्य संगठन में हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइक रयान का कहना है कि हर्ड इम्युनिटी एक खतरनाक अवधारणा है।
* स्विस दवा कंपनी रॉश सेवेरिन के सीईओ जूलिया चेटर्ले ने बताया कि यह अधूरी जानकारी पर आधारित अवधारणा है। इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए।