
एशियाई पटाखा फैक्ट्रियां श्रमिकों के लिए क्यों साबित हो रहीं खतरनाक
नई दिल्ली। दुनियाभर में खुशी के मौकों को चिह्नित करने के लिए आतिशबाजी की जाती है। लेकिन इनकी तेज आवाज और शानदार चमक के पीछे भारी सुरक्षा जोखिम भी है, न केवल जलाने वालों के लिए बल्कि विशेष रूप से इन्हें बनाने वालों के लिए भी। हाल में थाईलैंड में एक पटाखा फैक्ट्री में 20 से अधिक श्रमिक मारे गए और आसपास के क्षेत्र के लोग भी घायल हुए। इसी कारखाने में 2022 में भी एक श्रमिक की मौत हुई थी।
कहां-कहां संकट अधिक?
ऐसी दुर्घटनाएं थाईलैंड तक सीमित नहीं हैं। एशियाई देशों चीन और भारत, जो लंबे समय से दुनिया के आतिशबाजी के विनिर्माण केंद्र के रूप में काम करते रहे हैं, उनमें भी पिछले कुछ सालों में ऐसे हादसे हुए हैं। बीते अक्टूबर में तमिलनाडु में दो पटाखा फैक्ट्री विस्फोटों में 14 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि जुलाई में मध्य चीन में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में पांच लोग मारे गए।
आतिशबाजी उद्योग खतरनाक क्यों?
पटाखा उद्योगों का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं के अनुसार सबसे बड़ी कमी श्रमिकों के बीच सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण, उनकी शारीरिक व मानसिक स्थिति और कार्यस्थल पर प्रबंधन का अभाव है। सुरक्षा नियमों में ढील और अवैध कारखाने भी श्रमिकों की असुरक्षा को बढ़ाते हैं। इन हादसों के मद्देनजर ही शोधकर्ताओं ने पटाखे बनाने के लिए सुरक्षित वैकल्पिक सामग्रियों का उपयोग करने की सिफारिश की है।
कितना बड़ा है यह उद्योग?
उद्योग के स्पष्ट खतरों के बावजूद पटाखों की मांग लगातार बढ़ रही है। वैश्विक आतिशबाजी बाजार 2022 में 2.7 अरब डॉलर का था, जिसके एक दशक में 3.8 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इस मांग ने उद्योग को विनियमित या प्रतिबंधित करने के प्रयासों को और अधिक कठिन बना दिया है। यहां तक कि जब सरकारों ने पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं के कारण आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है, तो अक्सर ऐसे उपाय विफल हो जाते हैं।
Published on:
25 Jan 2024 03:52 pm
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