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पटाखे और आतिशबाजी का इतिहास है सदियों पुराना, जानिए कैसे ?

दिवाली के मौके पर या शादी ब्याह में आतिशबाजी करने का एक अलग क्रेज है।

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Prashant Kumar Jha

Oct 10, 2017

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर फिलहाल भले ही रोक लगा दी है। इससे आतिशबाजी करने वाले लोग और पटाखा विक्रेता निराश हो गए हैं। दिवाली के मौके पर या शादी ब्याह में आतिशबाजी करने का एक अलग क्रेज है। ये क्रेज आज से नहीं बल्कि 17वीं शताब्दी से चला आ रहा है। उस दौर में भी पटाखों को लेकर लोगों में जबरदस्त क्रेज रहता था। उस वक्त के लोग भी पटाखा छोड़ने में आगे रहते थे। सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद सोशल मीडिया पर कुछ चुनिंदा फोटो वायरल हो रहे हैं। जिसमें ब्रिटिश लाइब्रेरी से लेकर दिल्ली मीयूज्यम तक के फोटो जारी किए गए हैं। तस्वीरों के जरिए आपको उस दौर की आतिशबाजी को दिखाते हैं। 1815 में फतेहगढ़ को लॉर्ड मॉरिया के स्वागत में कुछ इस तरह की सजाए गए थे और जमकर आतिशबाजी की गई थी। ब्रिटिश लाइब्रेरी की ये फोटो है।

लखनऊ के नबाब के सम्मान में रंगबिरंगी आतिशबाजी

1815 में ही लखनऊ के नबाब के सम्मान में रंगबिरंगी आतिशबाजी की गई थी। इस फोटो को भी ब्रिटिश लाइब्रेरी ने जारी की है।

दारा सिकोह की शादी समारोह की फोटो
अगली फोटो दिल्ली के नेशनल म्यूजियम की ओर से जारी की गई फोटो में राजा दारा सिकोह की शादी समारोह के दौरान आतिशबाजी की है। जहां लोग समारोह में आतिशबाजी के साथ स्वागत कर रहे हैं।

18वीं शताब्दी में दिवाली की आतिशबाजी

18वीं शताब्दी में दिवाली के मौके पर महिलाएं पटाखे जला रही है। घरों के बाहर महिलाएं रॉकेट और गुलाब पटाखे छोड़ रही है।

सालर जंग म्यूजियम की ओर से 18वीं सदी की जारी फोटो में राजा और राजकुमार दिवाली के मौके पर पटाखे जला रहे हैं।

पटाखों का है पुराना इतिहास

कुल मिलाकर देखे तो पटाखों का इतिहास काफी पुराना है। उस दौर में भी आतिशबाजी और पटाखों को लेकर लोगों में खासा क्रेज रहता था। लिहाजा दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद लोगों में निराशा जरूर है।

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