का नाम भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस जैसे महानायकों के साथ लिया जाता है। वीर सावरकर महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, दूरदर्शी राजनेता तथा प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी थे।
उनका जन्म आज ही के दिन 28 मई 1883 को नासिक के ग्राम भागुर में हुआ था। बचपन में ही अपने माता-पिता को खोने वाले सावरकर के जीवन पर उनके बड़े भाई का खासा प्रभाव पड़ा। उन्होंने पुणे के फग्र्युसन कॉलेज से बी.ए. किया। उन्होंने सन 1857 में लड़े गए पहले भारतीय स्वाधीनता संग्राम पर किताब लिखी। जल्दी ही उनकी मुलाकात लाला हरदयाल से हुई। उसके बाद वह कट्टर क्रान्तिकारी बन गए।
उन्हें दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उसी दौरान उनकी मुलाकात आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेगडेवार से हुई। उनसे हुई मुलाकात ने उन्हें हिन्दू समाज की उन्नति के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य दिया। देश के आजाद होने के बाद उन्होंने हिन्दू समाज में फैले अनाचार और कुरीतियों के खिलाफ जंग लड़नी शुरू कर दी।
भारत माता के इस महान सपूत ने आमरण अनशन का सहारा लेते हुए 26 फरवरी 1966 में अपनी अंतिम सांस ली।
देश के नए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीर सावरकर को संसद भवन में श्रद्धांजलि दी। मोदी ने टि्वट करके भी सावरकार को याद किया।