खालिदा पोपल के पास जब महिला फुटबॉल खिलाड़ियों के मदद मांगने के लिए फोन आ रहे हैं तो वह उन खिलाड़ियों को सुरक्षित स्थान पर छिपने और अपनी पहचान मिटाने जैसी सलाह दे रही हैं। पोपल ने टेलीफोनिक इंटरव्यू में मीडिया को बताया कि वह सभी महिला खिलाड़ियों को उनके सोशल मीडिया चैनल को डिलीट करने, तस्वीरें हटाने, भागने और खुद को छिपाने की सलाह दे रही हैं। उनका कहना है कि यह सब देखकर उनका दिल टूट जाता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं को बढ़ाने के लिए काम किया है और अब वह अफगानिस्तान में अपनी महिला खिलाड़ियों को चुप रहने और कहीं गायब होने के लिए कह रही हैं क्योंकि उन लोगों की जान को खतरा है।
जब 1996 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था तो पोपल अपने परिवार के साथ देश छोड़कर चली गई थीं। इस दौरान वह पाकिस्तान में एक शरणार्थी शिविर में रहीं। इसके बाद दो दशक पहले वह वापस अफगानिस्तान लौटीं। यहां लौटकर उन्होंने महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए फुटबॉल खेलने वाली दूसरी युवा महिलाओं के साथ शुरुआत की। वर्ष 2007 तक पोपल के पास अफगानिस्तान की पहली महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम का हिस्सा बनने के लिए पर्याप्त खिलाड़ी थींं।
पोपल का कहना है कि उन्हें जर्सी पहनकर बहुत गर्व महसूस हुआ। यह एक खूबसूरत, सबसे अच्छा एहसास था। साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकियां और चुनौतियां मिलीं, क्योंकि वह नेशनल टीवी पर तालिबान को अपना दुश्मन कह रही थीं। पोपल ने वर्ष 2011 में अफगानिस्तान फुटबॉल एसोसिएशन में डायरेक्टर के पद पर काम किया। इसके बाद भी उन्हें लगातार धमकियां मिलती रहीं। ऐसे में उन्होंने वर्ष 2016 में डेनमार्क में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा।