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CWG 2022: चाय वाले के बेटे संकेत महादेव ने भारत को दिलाया कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पहला पदक

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के दूसरे दिन भारतीय वेटलिफ्टर्स ने धमाल मचाते हुए कई पदक अपने नाम किए। इन्हीं में से एक नाम संकेत महादेव सरकार का है जिन्होंने भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला पदक दिलाया। संकेत के संघर्ष की कहानी जानकारी वाकई आपका दिल पसीज जाएगा

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Sanket Mahadev Sargar

Sanket Mahadev Sargar

Sanket Mahadev, CWG 2022: इस साल कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहला पदक दिलाने वाले संकेत महादेव सरगर की कहानी किसी फिल्म स्टोरी से कम नहीं है। आप 21 वर्षीय संकेत के जीवन की कहानी के बारे में जानकर आपका दिल जरूर पसीस जाएगा। बता दें कि बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत 28 जुलाई से हो चुकी है और बीते शनिवार को भारतीय वेटलिफ्टरों ने कुल 4 पदक अपने नाम किए। जिसमें से पुरुष 55 किलो वर्ग में संकेत सरगर ने भारत के लिए पहला पदक हासिल किया। उन्होंने कुल 248 किलोग्राम वजन उठाकर सिल्वर पदक अपने नाम किया, इसमें 113 स्नैच और 135 किलो क्लीन एंड जर्क वजन था

Sanket के लिए नही थी आसान राह

बता दें कि राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में पदक जीतने के लिए संकेत महादेव सरगर ने काफी कड़ी मेहनत की है। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में हुई कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में संकेत ने नेशनल रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता था। लेकिन अब उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पदक जीतकर भारत का मान पूरे विश्व में बढ़ा दिया है।

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संकेत के पिता महादेव आनंदा सरगर बताते हैं के उनके बेटे संकेत की जिंदगी इतनी आसान नहीं थी। कभी मेरे पास उनकी उसकी फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे उसने अपने सपने पूरा करने के लिए अपना पूरा बचपन कुर्बान कर दिया। जब बच्चे जिस उम्र में खेलना कूदना सीखते हैं तो उसने प्रशिक्षण लेना शुरू किया था।


बता दें कि संकेत के पिता महाराष्ट्र के सांगली में एक छोटी सी पान और चाय की दुकान चलाते हैं। संकेत के पिता कहते हैं कि बेटे की मेहनत नहीं मुझे फल दिया है। जो मैं नहीं कर सका वह बेटे ने कर दिया। मैं खुद खेलना चाहता था लेकिन आर्थिक स्थिति मजबूत ना होने के कारण मेरा सपना अधूरा रह गया लेकिन अब मेरे सपने को बेटे ने पूरा कर दिया है।

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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पदक जीतने के बाद संकेत ने कहा मेरे कोच और परिवार ने मेरा खूब साथ दिया। वहीं संकेत के कोच कोच मयूर सिहंसने ने कहा कि संकेत ने यहां तक पहुंचने के लिए अपना पूरा बचपन कुर्बान कर दिया। उसका सिर्फ एक ही सपना था कि वह वेटलिफ्टिंग में भारत का नाम रोशन करें और अपने परिवार को एक अच्छा जीवन दे पाए। अब संकेत अपने पिता को चाय और पान की दुकान से आराम दिलाने के बारे में सोच रहे हैं।