इन दोनों पति-पत्नी के बीच छह साल से विवाद चल रहा था। शादी 2 मई 2014 को हुई थी। वर्ष 2015 में बेटी के जन्म के उपरांत दोनों में मनमुटाव के कारण जून 2016 से अलग अलग रहने लगे। फैमिली कोर्ट में दाम्पत्य अधिकारों की पुर्नस्थापना के लिए याचिका दायर हुई लेकिन कई बार समझाइश के बावजूद राजीनामा नहीं हो सका।
राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों में फिर से समझाइश की गई। इस दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव पवन कुमार वर्मा, न्यायमित्र प्रवीण आहलुवालिया, किशोर स्वामी आदि के प्रयासों से इस दंपती ने पुन: अपनी गृहस्थी को चलाने के लिए तैयार हो गए।
इस पर बैंच अध्यक्ष न्यायाधीश दीपक कुमार ने पति-पत्नी दोनों को गुलदस्ते भेंट कर सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए एक साथ घर को रवाना किया।
इससे पहले लोक अदालत के दौरान निस्तारित प्रकरणों में ६ करोड़ ७९ लाख ३३ हजार ८३ रुपए का अवार्ड भी पारित किया।
इससे पहले लोक अदालत के दौरान निस्तारित प्रकरणों में ६ करोड़ ७९ लाख ३३ हजार ८३ रुपए का अवार्ड भी पारित किया।
वहीं बैंक ऋण और बीएसएनएल के ३५ प्रकरणों का निस्तारण कर ७६ लाख ३० हजार ४२२ रुपए का पंचाट पारित किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एडीजे पवन कुमार वर्मा ने बताया कि जिले मे लोक अदालतों में केसेज का निस्तारण करने के लिए कुल 17 बैंचेज का गठन किया गया।
अदालतो में 4401 प्रकरण रख गए, इसमें 1538 प्रकरण प्रिलिटिगेशन के थे। इन बैंचों में कोविड प्रोटोकॉल की पालना करते हुए पक्षकारान में आपसी समझाईश करवाई गई। मोटरयान दुर्घटना दावा प्राधिकरण अदालत में सबसे ज्यादा भीड़ रही। पक्षकारों की आवाजाही अधिक रही। इस अदालत में अपने अपने दावों का निस्तारण करने के लिए पक्षकार पहुंचे।