श्रीगंगानगर.श्रीगंगानगर जिला,जो कभी कपास और किन्नू के लिए जाना जाता था,अब कृषि नवाचार की नई मिसाल बन रहा है। यहां के खेत अब सिर्फ सफेद सोना (कपास) नहीं,बल्कि हरी-भरी सब्जियों की खुशहाली भी उगा रहे हैं। किसानों का झुकाव तेजी से सब्जियों की ओर बढ़ा है। खासतौर पर भिंडी,गाजर, बैंगन और टमाटर जैसी नकदी फसलों की ओर। वजह है कम लागत, कम पानी और ज्यादा मुनाफा।
कृषि अनुसंधान केंद्र, श्रीगंगानगर ने इस बदलाव को वैज्ञानिक आधार देने के लिए भिंडी की सात उन्नत किस्मों में मीरा, काशी चमन, काशी लालिमा, काशी क्रंति, काशी प्रगति, काशी विभूति, अर्का अनामिका और पी-भिंडी-5 पर अनुसंधान शुरू किया है। यह परियोजना पिछले खरीफ सीजन में प्रारंभ हुई थी और फिलहाल तीसरे चरण के फील्ड परीक्षण में है।
नवाचार की नई राह
केंद्र का सबसे बड़ा नवाचार है भूमिगत सिंचाई प्रणाली। इस तकनीक से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत संभव है। साथ ही स्तही जल प्रबंधन से साठ प्रतिशत जल की बचत होती है। कृषि अनुसंधान केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एन.के. शर्मा बताते हैं, इस प्रणाली से पौधों को सीधे जड़ों तक पोषण मिलता है,खरपतवार की समस्या नहीं रहती और मिट्टी की नमी लंबे समय तक बरकरार रहती है। वे कहते हैं,यह तकनीक जल और पर्यावरण संरक्षण दोनों के लिए वरदान है। भविष्य में भूमिगत सिंचाई प्रणाली खेती का स्थायी आधार बनेगी।
किसानों की जुबानी
गांव 2 ई चक के किसान सुरेश सिंह बताते हैं,भूमिगत सिंचाई से हमारी आधी मेहनत बच गई और पानी भी ज्यादा समय तक टिका रहता है। अब सब्जी उत्पादन पहले से आसान और मुनाफे वाला हो गया है।
भविष्य की योजना
अनुसंधान केंद्र अब इस तकनीक को टमाटर और मिर्च जैसी अन्य सब्जियों में भी लागू करने की तैयारी कर रहा है। उद्देश्य है कम पानी और संसाधनों में अधिक उत्पादन देने वाली टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना।
क्या है खास
अनुसंधान फसलें: भिंडी की 7 उन्नत किस्में
जल संरक्षण: भूमिगत सिंचाई से 70 प्रतिशत बचत व स्तही जल प्रबंधन
उद्देश्य: कम लागत, उच्च उत्पादन, जल प्रबंधन
लाभ: खरपतवार नियंत्रण, मिट्टी की नमी बरकरार, पौधों को सीधा पोषण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और परिणाम
एक्सपर्ट व्यू - डॉ. लोकेश जौन,वरिष्ठ वैज्ञानिक
श्रीगंगानगर की दोमट मिट्टी और नियंत्रित सिंचाई व्यवस्था सब्जी उत्पादन के लिए आदर्श है। भिंडी की काशी लालिमा किस्म किसानों के लिए मुनाफे का नया रास्ता खोल रही है। अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि श्रीगंगानगर की दोमट मिट्टी और अर्ध-शुष्क जलवायु में कौन-सी किस्म सबसे बेहतर प्रदर्शन करती है। शुरुआती नतीजे बताते हैं कि काशी लालिमा किस्म इस क्षेत्र में सबसे उपयुक्त साबित हो रही है, जो बाजार में अन्य किस्मों से लगभग 10 रुपए किलो अधिक दर पर बिक रही है।