
SriGanganagar मुख्य मार्गो की बजाय मोहल्ले की सड़कों पर मेहरबान
श्रीगंगानगर। इलाके में पिछले तीन माह से जर्जर हुई सड़कों की बिगडी हालत को सुधारने के लिए नगर परिषद ने पेचवर्क शुरू करवाए हैं। लेकिन मुख्य मार्गो की बजाय उन मोहल्लों को प्राथमिकता दी गई है जिन एरिया के पार्षद नगर परिषद के सत्ता पक्ष में अपनी एप्रोच रखते है। मुख्य मार्गो में विशेष रूप से रवीन्द्र पथ, गगन पथ, कोडा चौक से शहीद उधमसिंह चौक तक, पुरानी आबादी माइक्रोटावर, मल्टीपरपज स्कूल से लेकर सूचना केन्द्र तक, गोदारा कॉलेज से लेकर विनोबा बस्ती पार्क तक, ट्रक यूनियन पुलिया से लेकर उदाराम चौक तक, अम्बेडकर चौक, गांधी चौक, केदार चौक, पायल सिनेमा के पास सेतिया कॉलोनी की मुख्य रोड, जाखड़ कॉलोनी की मुख्य रोड, एफ ब्लॉक सरकारी स्कूल के आसपास की सड़कों पर पेचवर्क करने की प्रक्रिया प्राथिमकता से नहीं कराई जा रही है।
इधर, जवाहरनगर सैक्टर छह वार्ड 45 में पेचवर्क का काम शुरू हो गया। हालांकि इन पेचवर्क में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि दीपावली से पहले शहर में जर्जर सड़कों की काया बदलेगी। नगर परिषद प्रशासन ने शहर के 65 वार्डो में अलग अलग दो चरणों में पचास-पचास लाख रुपए कुल मिलाकर एक करोड़ रुपए पेचवर्क का बजट खर्च करने के आदेश जारी किए। इस आदेश की पालना में वार्डो में जर्जर सडकों की मरम्मत का काम शुरू किया गया है।
पिछले सप्ताह जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दौरे पर आए तब पीडब्ल्यूडी ने आनन फानन में रात के अंधेरे में पेचवर्क कराने के लिए बुलडोजर चलाए। लेकिन अगले दिन सीएम गहलोत अम्बेडकर कॉलेज खेल मैदान से वापस जयपुर के लिए रवाना हुए तब यह पेचवर्क अधूरा छोड़ दिया। इस कारण कलक्ट्रेट के आसपास, सर्किट हाउस, डीएवी स्कूल के आसपास, गंगासिंह स्टेडिम एरिया में सड़कों की मरम्मत कराई गई लेकिन इसके बाद एक इंच भी मरम्मत का काम नहीं हुआ है।
इधर, शहर में दो महीने पहले अतिवृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए लोगों ने जिला प्रशासन को सर्वे टीम के माध्यम से निरीक्षण भी कराया। वहीं उपखंड अधिकारी की अगुवाई में पटवारियों और तहसीलदार की अगुवाई में सर्वे भी किया गया। इसमें गुरुनानक बस्ती, पुरानी आबादी आबादी में सबसे ज्यादा हुए नुकसान का आकलन भी किया। लेकिन दो माह बीतने के बावजूद आपदा प्रबंधन से मदद नहीं आई हैं।
वहीं अधिकारियों ने इस मुआवजे के लिए नियम कायदों की किताब खोली। इन अधिकारियों का कहना था कि जिन लोगों के पास पट्टे या रजिस्ट्री है, उनको भवन स्वामित्व माना जाएगा। ऐसे में पचास फीसदी लोग मुआवजे मांगने कीप्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन में नुकसान के आकलन के लिए भिजवाई रिपोर्ट में करीब साढ़े पांच हजार से अधिक मकानों को नुकसान पहुंचने की रिपोर्ट प्रेषित की हैं।
Published on:
07 Oct 2022 10:16 pm
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