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बदलते मौसम के बाद फसल निकालने के लिए कंबाइन को प्राथमिकता

मौसम में अचानक हुए बदलाव के बाद किसान थ्रेसर के बजाय अब कंबाइन से फसल निकालवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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-पहले थ्रेसर से निकलवा रहे थे फसल


श्रीगंगानगर.

मौसम में अचानक हुए बदलाव के बाद किसान थ्रेसर के बजाय अब कंबाइन से फसल निकालवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि थ्रेसर से फसल निकलवाने से किसानों को फायदा होता है, फिर भी कंबाइन से फसल निकलवा रहे हैं। हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में मौजूदा समय में सरसों की 80 प्रतिशत, चना की दस प्रतिशत, जौ की 50 प्रतिशत फसल निकल चुकी है। वहीं गेहूं की कटाई का काम इक्का-दुक्का जगह पर शुरू हो चुका है। मौसम खराब होने से पहले तक किसानों ने सरसों की लगभग फसल को थ्रेसर से निकलवाया है, वहीं जौ को कंबाइन से ही निकलवाया है।

हनुमानगढ़ जिले के गोलूवाला गांव के किसान कृष्ण स्वामी और सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मौसम में बदलाव और बूंदाबांदी के कारण काटी गई चना की फसल एकदम गीली हो गई है। इससे इसको निकालने के लिए अभी दो-तीन दिन तक धूप निकलने का इंतजार करना पड़ेगा। अगर इस दौरान और बरसात होती है तो चना काला पड़ जाएगा और बिकने में दिक्कत आएगी। सरसों पर बूंदाबांदी का ज्यादा असर नहीं पड़ा है, क्योंकि काटने के बाद भी लगाए गए ढेर में हवा का आवागमन होता रहता है जिससे यह सूख जाती है। ऐसे मेंं सरसों निकालने का काम लगातार जारी है।

क्या है गणित
फसल- कटाई से शेष (प्रतिशत में)

सरसों -20
चना - 90

गेहूं - 100
जौ - 50

थ्रेसर सस्ता, कंबाइन महंगी
कंबाइन और थ्रेसर से फसल निकालने का भाव भी अलग-अलग है। सरसों को थे्रसर से निकालने पर 500 रुपए प्रति बीघा, कंबाइन से फसल निकालने पर 700 रुपए प्रति बीघा लिया जा रहा है। जौ और गेहूं दोनों का थ्रेसर से 600 रुपए और कंबाइन से 700 रुपए, चना को ज्यादातर थ्रेसर से ही निकलवा रहे हैं फिर भी थे्रसर से 500 रुपए और कंबाइन से 600 रुपए प्रति बीघा लिया जा रहा है।

सरसों का उठाव नहीं होने से बनी समस्या