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हनुमानगढ़.
ग्राम अनूपशहर में चार वर्ष पूर्व भूमि विवाद को लेकर चार लोगों की निर्मम हत्या करने के मामले में चार जनों को दोषी करार देते हुए अपर जिला एवं सेशन न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई है।न्यायाधीश वंदना राठौड़ ने दोषी आत्माराम, लीलाधर, श्रवण पुत्र लीलाधर तथा ओमप्रकाश को मृत्यु दंड के साथ-साथ 50-50 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है। हत्या के मामले में आरोपित पवन व राकेश घटना के बाद से फरार चल रहे हैं। उनकी अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस फैसले को लेकर न्यायालय के इजलास में वकील व अन्य नागरिक भारी संख्या में उपस्थित रहे। राज्य सरकार की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक संतलाल कालीरावणा ने की। पीडि़त पक्ष के अधिवक्ता छबीलाराम मूंड व विक्रम शर्मा भी थे।
चार साल बाद आया फैसला
13 अक्टूबर 2013 को ग्राम अनूपशहर में कैलाश लखारा व उसका पिता भंवरलाल, भाई पंकज के साथ खेत में ग्वार काट रहे थे। इसी दौरान भूमि विवाद को लेकर रंजिश रखने वाले लीलाधर, आत्माराम, ओमप्रकाश, पवन, श्रवण, राकेश व दो-तीन अन्य व्यक्ति ट्रैक्टर पर हाथो में लाठियां, कुल्हाड़ी लेकर खेत में आए और कैलाश, उसके भाई पंकज व पिता भंवरलाल पर जानलेवा हमला कर दिया। भंवरलाल व पंकज की मौके पर मौत हो गई।
कैलाश की आंखों में ज्वलनशील तरल पदार्थ डाल दिया। खेत में हत्या करने के बाद कैलाश के घर पहुंच आत्माराम व उसके साथियों ने कैलाश के दादा मोमनराम व बहन चन्द्रकला पर हमला कर दिया। इससे मोमनराम की मौके पर ही मौत हो गई। घर पर कैलाश की मां ने कमरे का दरवाजा बंद कर अपने को बचाया।
भादरा पुलिस ने कैलाश के पर्चा बयान पर आत्माराम, लीलाधर, ओमप्रकाश, पवन पुत्र नौंरगराम लखारा, श्रवण पुत्र लीलाधर, राकेश पुत्र आत्माराम लखारा सहित अन्य के विरुद्ध धारा 302, 307, 452 सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था। घायल कैलाश को भादरा में प्राथमिक उपचार के बाद सिरसा ले जाया गया। वहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। भादरा पुलिस ने हत्या के आरोपितो में आत्माराम, लीलाधर, श्रवण, ओमप्रकाश को गिरफ्तार कर लिया। जबकि पवन व राकेश अभी तक फरार चल रहे हैं।
मौत की सजा का दूसरा फैसला
भादरा में सेशन ट्रायल मामलों की सुनवाई के लिए अपर सेशन न्यायालय की स्थापना होने के बाद हत्या जैसे जघन्य अपराधों में किसी दोषी को मृत्यु दंड से दंडित करने का फैसला दूसरी बार आया है। अनूपशहर गांव के चार साल पुराने चोहरे हत्याकांड में चार जनों को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। इससे पूर्व इसी न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश आरसी रामधारी ने 22 दिसंबर 2008 को भादरा में दो महिलाओं की हत्या के दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी।
कंधों पर खिलाया, उन्होंने ने ही ली जान
मृतक मोमनराम के दो पुत्र थे। उनमें से गांव में केवल भंवरलाल ही रहता था। मोमनराम के परिवार के लिए काल बने लीलाधर, आत्माराम व ओमप्रकाश उसके सगे भाई नौरंगराम के बेटे हैं। नौरंगराम की मौत कई साल पहले हो चुकी थी। बचपन में जिन्हें कंधों पर खिलाया वही भतीजे मोमनराम व उसके परिवार के लिए मौत बन गए।
Published on:
03 Nov 2017 09:50 pm
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