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सरकारी तंत्र की खुली आंख, समर्थन मूल्य पर हो रही खरीद में औसत उत्पादन का दायरा बढ़ाया

जिले में समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद में औसत उत्पादन की सीमा बढ़ा दी गई है।

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dhan mandi

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हनुमानगढ़.

जिले में समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद में औसत उत्पादन की सीमा बढ़ा दी गई है। इससे किसानों को राहत मिली है। खरीद संबंधी ऑनलाइन टोकन के सॉफ्टवेयर में मंगलवार को औसत उत्पादन के नए आंकड़े अपलोड कर दिए गए। इससे पूर्व गत माह सरकारी खरीद को लेकर जारी निर्देशों में सरकार ने इस वर्ष सरसों का औसत उत्पादन तीन क्विंटल 49 किलो 500 ग्राम प्रति बीघा यानी 13 क्विंटल 98 किलो प्रति हेक्टेयर माना था। सिंचित क्षेत्र होने के कारण जिले में सरसों का औसत उत्पादन दूसरे जिलों के मुकाबले अधिक होता है। लेकिन सरकार ने मनमाने तरीके से सिंचित क्षेत्र का औसत उत्पादन तय कर दिया था।

इससे किसानों के सामने सरकारी खरीद में दिक्कत आ रही थी। पत्रिका ने एक अप्रेल के अंक में 'सरकारी खरीद को मोतियाबिंद' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर किसानों की समस्या उठाई। इसके बाद सरकारी तंत्र ने औसत उत्पादन के आंकड़े बदल इसमें बढ़ोतरी का निर्णय लिया। अपलोड नए आंकड़ों के अनुसार अब प्रति हेक्टेयर सरसों का औसत उत्पादन 20 क्विंटल 97 किलो निर्धारित किया गया है। इस निर्णय से धरतीपुत्र अपनी फसल को सरकारी रेट पर बेच सकेंगे। अगर सरकार औसत उत्पादन की मात्रा में बढ़ोतरी नहीं करती तो किसानों को औने-पौने दाम पर मंडियों में व्यापारियों को सरसों बेचनी पड़ती।

यूं मिली राहत
हनुमानगढ़ जिले में चालू रबी सीजन में सरसों 97 हजार हेक्टेयर में बिजाई की गई। इसके आधार पर सरकार ने औसत उत्पादन का निर्धारण कर सरकारी खरीद के फरमान जारी किए। लेकिन हनुमानगढ़ में फसल काफी अच्छी होने के बावजूद किसानों के सामने औसत उत्पादन की सीमा फसल बेचने में बाधक बन रही थी। समस्या को लेकर पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने के बाद सहकारिता व कृषि विभाग ने भी सरकार को नए आंकड़े भिजवाए। इसमें हनुमानगढ़ में 20, पीलीबंगा में 19, संगरिया में 24, टिब्बी में 20, नोहर में 19, रावतसर में 21 व भादरा में 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से औसत उत्पादन होने की तथ्यात्मक रिपोर्ट सरकार को भिजवाई गई। इसके बाद जगी सरकार ने अब औसत उत्पादन में बढ़ोतरी कर किसानों को राहत दी है।