
श्रीगंगानगर। रिश्वत लेने के मामले में जांच एजेंसी की लचर अनुसंधान से आरोपी को अदालत ने अभियोजन पक्ष के ठोस साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए दोष मुक्त कर दिया। यह निर्णय एसीबी कोर्ट की स्पेशज जज शैल कुमारी सोलंकी ने सुनाया।बचाव पक्ष के वकील खुशीर्द आलम के अनुसार इस निर्णय में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे प्रमाणित करने में विफल रहा, ऐसे में अभियुक्त जोधपुर डिस्कॉम के तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता (जेईएन) राकेश कुमार मीणा को दंडित नहीं किया जा सकता। एसीबी चौकी हनुमानगढ़ की ओर से वर्ष 2018 में दायर आरोप पत्र के अनुसार परिवादी बलकरण सिंह ने शिकायत दी थी कि चक 1 बीबी स्थित कृषि कनेक्शनों के मीटर खराब बताकर जेईएन ने लाखों रुपये के बकाया का हवाला देते हुए राशि रफा-दफा करने के बदले रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। एसीबी ने सत्यापन के बाद ट्रैप कार्रवाई करते हुए आरोपी के पास से 50 हजार रुपये बरामद करने का दावा किया था। बाद में डिजिटल रिकॉर्डिंग, सीडी, गवाहों के बयान व रासायनिक परीक्षण रिपोर्ट न्यायालय में साक्ष्य के रूप में पेश किए गए।
अदालत को साक्ष्य नहीं लगे विश्वसनीय
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि बरामद राशि की स्पष्ट मांग और स्वीकृति सिद्ध नहीं हो पाई, वार्ता रिकॉर्डिंग और ट्रांसक्रिप्ट में कानूनी खामियां रहीं, और घटनाक्रम को लेकर गवाहों के बयान परस्पर विरोधी पाए गए। अदालत ने माना कि प्रस्तुत साक्ष्य आरोपों को पूर्ण रूप से साबित नहीं करते, इसलिए अभियुक्त को संदेह का लाभ दिया जाना उचित है। अदालत ने आरोपी जयपुर के प्रतापनगर निवासी राकेश कुमार मीणा को दोष मुक्त कर दिया।
Published on:
27 Dec 2025 10:22 am
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