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जर्जर और गड्ढ़ाें भरे हाईवे पर टोल के नाम पर कट रही वाहन चालकों की जेबें

सूरतगढ़ से बीकानेर नेशनल हाईवे शायद देश का पहला ऐसा राष्ट्रीय राजमार्ग होगा, जहां जर्जर सड़क पर सफर के लिए वाहन चालकों से टोल वसूली की जा रही है। सूरतगढ़ के इंदिरा सर्कल से निकलते ही करीब आधा किमी बाद ही बारिश के बाद करीब 100 मीटर हाईवे सड़क गड्ढ़ों में तब्दील हो गई है।

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Suratgarh News: आमतौर पर टोल का भुगतान मखमली और आरामदायक सड़कों पर सफर के लिए किया जाता है। लेकिन बात सूरतगढ़ से बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग की करें तो, यहां हालात कुछ और है। यहां जर्जर व गड्ढ़ों भरे हाईवे पर हिचकौलों भरे सफर के लिए आम आदमी की टोल के नाम पर जेब काटी जा रही है। इतना ही नहीं नेशनल हाईवे पर राजपुरा पीपेरन में जहां पुल हर वर्ष क्षतिग्रस्त हो रहा है और वाहन चालकों को सर्विस रोड के नाम पर खड़वंजानुमा सड़क से निकाला जा रहा है, वहीं बिरधवाल में तो 236 आरडी का पुल बीरबल की खिचड़ी बनकर रह गया है। हालत यह है कि सूरतगढ़ सीमा में ही हाईवे इतना जर्जर और गहरे गड्ढ़े हैं कि वाहनों के एक्सल तक टूट जाते हैं। आए दिन हाईवे पर वाहनों के साथ दुर्घटनाएं हो रही हैं। सड़क की ऐसी हालत के बावजूद हाईवे निर्माण कम्पनी सूरतगढ़ से करीब 25 किमी दूरी का सफर करने के बाद ही हिंदौर टोल प्लाजा पर टोल टैक्स वसूल रही है।

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हिचकौले भरे खतरनाक सफर के लिए वसूला जा रहा टोल

सूरतगढ़ से बीकानेर नेशनल हाईवे शायद देश का पहला ऐसा राष्ट्रीय राजमार्ग होगा, जहां जर्जर सड़क पर सफर के लिए वाहन चालकों से टोल वसूली की जा रही है। सूरतगढ़ से बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग की खस्ता हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सूरतगढ़ के इंदिरा सर्कल से निकलते ही करीब आधा किमी बाद ही बारिश के बाद करीब 100 मीटर हाईवे सड़क गड्ढ़ों में तब्दील हो गई है। यह गड्ढ़े इतने गहरे हैं कि यहां से गुजरने वाले भारी वाहनों के तो एक्सल तक टूट जाते हैं। जबकि छोटे वाहन तो अक्सर इन गड्ढ़ों में फंसकर रह जाते हैं। जिनको दूसरे वाहनों या क्रेन की मदद से खींचकर निकाला जाता है। यही हालत नेशनल हाईवे पर बिरधवाल के पास छतरगढ़ खाजूवाला तिराहे की है, जहां पूरा सर्कल ही जर्जर हो चुका है। बरसात के दिनों में तो यहां इतना पानी भर जाता है कि वाहनों का आवागमन तक मुश्किल हो जाता है।

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गुणवत्ता ऐसी कि दो वर्ष में तीन बार क्षतिग्रस्त हुआ पीपेरन पुल

नेशनल हाईवे की दुर्दशा केवल क्षतिग्रस्त सड़क मार्ग तक ही सीमित नहीं है। नेशनल हाईवे पर राजपुरा पीपेरन में सूरतगढ़ से 7 किमी दूर घग्घर डिप्रेशन की 15 कट पर बना पुल निर्माण के मात्र दो वर्षों में तीन बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस पुल की निर्माण की गुणवत्ता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पहली बरसात में ही पुल की सड़क जगह-जगह से धंस गई थी। वहीं इस बार पुलिया की सड़क में दरारें नजर आने लगी। दुर्घटना की आशंका के चलते निर्माण कम्पनी ने हाल में इस पुल को मरम्मत के लिए एक माह तक बन्द किया था। जिस पर रविवार से पुन: आवागमन शुरु हो सका है। उधर मरम्मत के दौरान वाहन चालकों को पुरानी जर्जर सड़क से निकाला जाता है, जिसकी हालत खड़वंजा सड़क से भी खराब है। इसके अलावा इसी नेशनल हाईवे पर इंदिरा गांधी मुख्य नहर का 236 आरडी पुल डेढ़ दशक से जर्जर हालत में है। करीब एक वर्ष से इस पुल का निर्माण कार्य कछुआ गति से चल रहा है।

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राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग का पक्ष

सार्वजनिक निर्माण विभाग उच्च मार्ग के अधिशासी अभियंता लव मुदगल ने बताया कि सूरतगढ़ से आधा किमी आगे बरसात पानी के बहाव के कारण हाईवे क्षतिग्रस्त हो रहा है। इसके लिए यहां हाईवे के नीचे एक छोटा पुल बनाने की योजना बनाई है। वहीं राजपुरा पीपेरन में पुल के बार-बार क्षतिग्रस्त होने को लेकर हाईवे बनाने वाली कम्पनी पर पैनल्टी लगाई जा चुकी है। कम्पनी को गुणवत्ता पूर्ण सड़क बनाने के लिए कहा गया है। जबकि 236 आरडी के पुल के निर्माण में वन विभाग से स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। मामला उच्च स्तर पर विचाराधीन है।