
farmer demonstration people problem
श्रीकरणपुर. गांव बंद आंदोलन के चलते कस्बे में फल, सब्जी व दूध की आपूर्ति चौथे दिन भी ठप रही। इससे इन चीजों के मनमाने रेट लगने शुरू हो गए हैं। सब्जी के मामले में लोग दालों व अन्य घरेलू सब्जियों से काम चला रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी दूध की आपूर्ति को लेकर हो रही है। इसका मुख्य कारण दूधियों की ओर से घर-घर दूध की सप्लाई बंद होना है।
बुजुर्ग व महिलाएं कहां जाए
हालांकि आंदोलनकारियों की ओर से कस्बे के बाहर विभिन्न नाकों पर दूध बेचा जा रहा है। लेकिन वहां जाकर पहले से महंगी दरों दूध लाना आमजन को काफी अखर रहा है। खासतौर से बुजुर्गों व महिलाओं को कस्बे से दो-तीन किमी. बाहर जाकर नाके से दूध लाना बेहद परेशान कर रहा है। कई नाकों पर दूध खत्म होने की स्थिति में उनके खाली हाथ लौटने को भी मजबूरी है। कई लोग पशुपालकों के घर से सुबह पांच बजे ही दूध लाने जा रहे हैं।
मर्जी के रेट पर बिक रहा दूध
लोगों ने बताया कि नाकों पर भी दूध के रेट में एकरूपता नहीं है। बताया जा रहा है कि वहां गाय का दूध ४० रुपए व भैंस का दूध ५० रुपए प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है। इसके अलावा मोहल्लों में कुछ दुकानों पर अंदरखाने ६० रुपए प्रति लीटर तक दूध बेचा जा रहा है। और यह दूध शुद्ध भी नहीं है। इसमें पानी की मिलावट की जा रही है।
लोगों का कहना है कि अपने हक के लिए किसानों को सरकार से लड़ाई लडऩी चाहिए। आमजन को परेशान करना अनुचित है। उधर, गंगानगर किसान समिति के तहसील अध्यक्ष राजेन्द्रसिंह बुर्जवाला ने बताया कि समिति की ओर से तय रेट (गाय का दूध ३० रुपए प्रति लीटर व भैंस का दूध ४० रुपए प्रति लीटर) के मुताबिक ही दूध बेचने का आह्वान किया गया है। अगर कोई शिकायत मिलती है तो संगठन पदाधिकारी वहां जाकर समझाइश कर रहे हैं।
.दूधिए भी खुश नहीं उधर, किसान आंदोलन से अधिकांश दूधिए नाखुश हैं। दूध विक्रेता यूनियन के अध्यक्ष बनवारी लाल मोंगा ने बताया कि एक दो दिन के आंदोलन के लिए उनकी यूनियन ने हमेशा समर्थन दिया लेकिन दस दिन के आंदोलन से उनका धंधा चौपट होने की आशंका है।
Published on:
05 Jun 2018 03:33 pm
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