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खरीफ की फसल खराबे से उभरे ही नहीं किसान, अब रबी की फसल पर बरपा कहर

-घने कोहरे व सर्दी से फसलों को हो रहा है नुकसान -किन्नू उत्पादक किसान फल ड्रॉपिंग की समस्या से चिंतित

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खरीफ की फसल खराबे से उभरे ही नहीं किसान, अब रबी की फसल पर बरपा कहर

सादुलशहर. क्षेत्र के एक बाग में फल ड्रॉपिंग की चपेट में किन्नू के बगीचे।

सादुलशहर. गत करीब दो सप्ताह से क्षेत्र में छाए घने कोहरे व सर्दी के प्रकोप के चलते मौजूदा रबी सीजन की फसलों को नुकसान होने का डर धरतीपुत्रों को सता रहा है। क्षेत्र के प्रगतिशील किसान रामसिंह कड़वासरा, जसवंत सिंह ढिल्लों, मंगत सहारण, जगदेव सिंह बराड़, राकेश सिहाग किशनपुरा आदि ने बताया कि गत करीब एक पखवाड़े से सूर्य देवता बादलों की गिरफ्त में है। सूर्य देवता के दीदार नहीं होने के कारण सरसों की फसलों में तना गलन रोग का प्रकोप दिखाई देने लगा है। फसलों की टहनियों पर सफेद चमक आने से फसल गलन रोग पैदा होने का खतरा मंडराने लगा है। किसानों ने बताया कि अत्यधिक सर्दी होने के कारण खेतों में गेंहू की फसल पीली पडऩे से इसका असर फसल की गुणवत्ता व उत्पादन पर पड़ेगा। आशंका जताई कि सर्दी का प्रकोप ऐसे की रहा तो क्षेत्र के किसानों को एक बार फिर मौसम की मार झेलनी पड़ सकती है, जिससे फसलों के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

गत खरीफ सीजन में पड़ी मौसम की मार

इस क्षेत्र में गत खरीफ फसली चक्र में नरमा-कपास की फसल बुरी तरह से खराब होने से खेती बिल्कुल घाटे का सौदा साबित हुई है। गुलाबी सुंडी व मौसम की मार के कारण क्षेत्र में नरमा व कपास की फसल को काफी नुकसान हुआ है। क्षेत्र में नरमा-कपास का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसके साथ फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। दूसरी ओर भारतीय कपास निगम की ओर से नरमा व कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं होने के कारण नरमा-कपास प्रति क्विटंल समर्थन मूल्य से करीब 2 से 3 हजार रुपए कम में विक्रय हो रहा है। ऐसे में अगर रबी फसली सीजन अत्याधिक सर्दी से प्रभावित होती है तो निश्चित तौर पर हाड़ी का ये फसली सीजन खराब होने का डर किसानों को निराश कर सकता है।

बागवानी फसल भी चढ़ी सर्दी की भेंट

क्षेत्र में किन्नू बागवानी भी बहुत बड़े कृषि क्षेत्र में है। सर्दी के प्रकोप के चलते अब किन्नू की फसल पर फल-ड्रॉपिंग का खतरा मण्डरा रहा है। बागवान किसान जगदीश खीचड़, सतीश डागला, अजब सिंह खीचड़, प्रमोद सहारण आदि ने बताया कि इस बार किन्नू के भाव बहुत कम होने से अभी तक बहुत सारे बगीचों में फलों की तुड़वाई नहीं हुई है। ऐसे में लगातार सर्द हवाओं के चलते मौसम में नमी बनी हुई है। अब बगीचों में फल-ड्रॉपिंग (फलों का जमीन पर गिरना) का खतरा बढ़ता जा रहा है, जो कि बागवान किसानों के लिए चिंता का विषय है ।