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VIdeo: पोष्टिकता पर फोकस, मिलावट की अनदेखी

आंगनबाड़ी केन्द्रों पर स्वयं सहायता समूह की ओर से आवंटित किए जाने वाले पोषाहार की जांच महज पौष्टिकता की हो रही है न कि मिलावटी

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Focus on nutrition ignoring adulteration

श्रीगंगानगर।

आंगनबाड़ी केन्द्रों पर स्वयं सहायता समूह की ओर से आवंटित किए जाने वाले पोषाहार की जांच महज पौष्टिकता की हो रही है न कि मिलावटी। दो साल पहले राज्य सरकार ने रेडीमेड पोषाहार की बजाय स्थानीय स्तर पर स्वयं सहायता समूह को इन पोषाहार बनाने की जिम्मेदारी गई थी, ऐसे पोषहार की सप्लाई आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हो रही है। अधिकांश समूह ने पूल बनाकर पोषाहार की आपूर्ति कराई जा रही है। महिला पर्यवेक्षक जांच के दौरान केन्द्रों से पोषाहार के सैम्पल यहां महिला एवं बाल विकास विभाग में जमा करवा कर दिल्ली स्थित एक प्राइवेट लैब में जांच कराने के लिए भिजवाए जाते है।

वहां से पोष्टिकता की जांच कर रिपोर्ट आती है। एक सैम्पल के एवज में करीब छह हजार रुपए का खर्चा आता है, यह भुगतान महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से दिया जाता है। पिछले साल से अब तक 444 सैम्पल की जांच हो चुकी है। लेकिन अब तक मिलावट के संबंध में जांच नहीं हुई है। ऐसे में इस जांच पर सवालिया निशान लगने लगे है। बैबी मिक्स पोषाहार में गुणवत्ता का पैमाना महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक की ओर से जारी किए आदेश में यह बताया गया है कि छह माह से तीन साल तक के बच्चों और गभर्वती व धात्री महिलाओं को आवंटित किए जाने वाले बैबी मिक्स पोषाहार की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए।

इस बैबी मिक्स पोषाहार के 100 ग्राम में अलग अलग वस्तुएं होना जरूरी है। इसमें 50ग्राम गेहूं, 5 ग्राम चने की दाल, 11 ग्राम सोयाबीन, 29 ग्राम चीनी, 5 ग्राम खाद्य ऑयल शामिल होना अनिवार्य है। हर साल तीस करोड़ रुपए का बजट पूरे जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत बच्चों को पोषाहार आवंटन के नाम पर एक करोड़ 80 लाख रुपए का भुगतान हर महीने हो रहा है। इसके अलावा गर्म पोषाहार का बजट मांग के अनुरुप अलग है, यह अनुमानित भी करीब साठ से सत्तर लाख रुपए हर महीने है। बैबी मिक्स पोषाहार और गर्म पोषाहार पर हर महीने राजकोष से ढाई करोड़ रुपए का भुगतान होता है।

सालाना यह राशि 30 करोड़ रुपए की है। अनुबंध के कारण दिल्ली भिजवाते है सैम्पल यह सही है कि पिछले साल राज्य सरकार के आदेश पर दिल्ली की आईटी लैब प्राइवेट लिमिटेड भिजवाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसमें प्रत्येक ब्लॉक से जांच के दौरान लिए गए पोषाहार के सैम्पल की जांच कराई जाती है। पोषाहार में गुणवत्ता कैेसे है, इसकी जांच की जाती है। मिलावटी या अन्य के बारे में हमें नहीं पता। जैसा विभागीय उच्चाधिकारियों ने प्रयोगशाला संचालक के साथ अनुबंध किया है, उसके अनुरुप सैम्पल भिजवाए जाते है। - ऋषिबाला श्रीमाली, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीगंगानगर।