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टिश्यू कल्चर खजूर में जेंडर गड़बड़,किसानों को लाखों का नुकसान

डीएनए रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में,फर्म की तीन करोड़ की राशि रोकी गई -पत्रिका एक्सक्लूसिव--कृष्ण चौहान.

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  • श्रीगंगानगर.राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ सहित प्रदेश के 17 जिलों में वितरित किए गए टिश्यू कल्चर खजूर के पौधों में जेंडर बदलने का मामला सामने आया है। योजना के तहत किसानों को मादा (फीमेल) पौधे दिए गए थे,लेकिन पुष्पन के दौरान इनमें अधिकांश पौधे नर (मेल) निकल गए। इससे खजूर उत्पादन प्रभावित हुआ और किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। गौरतलब है कि 2010 में ऐसा मामला सामने आया था।
  • उद्यान विभाग ने पौधे सप्लाई करने वाली नेकोफ और एनएफसीडी फर्म की तीन करोड़ रुपए की अमानत और इसके अलावा अनुदान राशि रोक दी है। साथ ही किसानों को राहत दिलाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। विभागीय नियमों के अनुसार,प्रति पौधा 800 रुपए प्रतिवर्ष मुआवजा देने का प्रावधान है।
  • श्रीगंगानगर की उप निदेशक प्रीति बाला ने बताया कि शिकायतों के बाद रैंडम सैंपल लेकर बीकानेर लैब में डीएनए परीक्षण कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट सही आई थी। बावजूद इसके जब पौधे नर निकले तो लैब रिपोर्ट पर भी सवाल उठने लगे हैं।

दो वर्ष में 31,199 टिश्यू कल्चर उपलब्ध करवाए

  • दो वर्ष में प्रदेशभर में 31,199 टिश्यू कल्चर पौधे वितरित किए गए थे। श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जिलों शुरुआत हुई। इसके बाद अजमेर, जयपुर, चूरू, जालौर, झुंझुनूं, नागौर, पाली, सीकर, सिरोही, टोंक और दौसा जैसे जिलों में भी यह खेती प्रारंभ की गई। इनमें मेडजूल, बरही, खुनैजी, अलइनसिटी और घनामी जैसी किस्में थीं।

पांच किस्में, एक पौधा 4350 से 4875 रुपए का

  • भारतीय राष्ट्रीय कृषक उपज उपार्जन प्रसंस्करण एवं रिटेलिंग सहकारी संघ लिमिटेड (नेकोफ) और भारतीय राष्ट्रीय निर्माण एवं विकास सहकारी संघ (एनएफसीडी) के माध्यम से विभाग ने खजूर के टिश्यू कल्चर के पौधे किसानों को उपलब्ध करवाए गए। उद्यान विभाग की अनुबंध की शर्तों के अनुसार अनुमोदित किस्मवार खजूर के टिश्यू कल्चर के पौधे उपलब्ध करवाए गए। सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात की खजूर की पांच किस्मों के पौधे उपलब्ध करवाए गए थे। पौधों की कीमत 4350 से 4875 रुपए थी, जिन पर किसानों को 75 फीसदी तक अनुदान दिया गया।

श्रीगंगानगर में खजूर बागवानी स्थिति

  • कुल बागवानी: 200 हेक्टेयर
  • ड्रिप पद्धति:50 हेक्टेयर
  • फलत अवस्था में: 135 हेक्टेयर
  • अनुमानित उत्पादन: 15,625 मीट्रिक टन
  • बड़ा आर्थिक नुकसान हुआउद्यान विभाग से लेकर दो वर्ष पहले 444 मादा बरी और 24 नर बहरी खजूर पौधे लगाए थे। करीब 125 पौधे मोटी पत्तियों और बिना कांटों वाले पौधे सामने आए हैं। पौधों की विविधता और किस्में भी भिन्न हैं। पिछले दो वर्षों में लगभग 24,635 रुपए प्रति पौधा खर्च हो चुका है। अब पौधे बड़े हो चुके हैं, परन्तु वे सभी खराब हो गए हैं।
  • - पूर्ण सिंह जटाना, किसान, चक दो आरजेएम, सूरतगढ़।
  • करवाएंगे नुकसान की भरपाई
  • यह गंभीर मामला है। जांच में शिकायतें सही पाई गई हैं। नई पौध नहीं दी गई तो कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। किसानों की भरपाई हर हाल में की जाएगी।"
  • प्रीति बाला, उप निदेशक, उद्यान विभाग,श्रीगंगानगर।