पुरानी आबादी निवासी मनमोहन यादव ने हाईकोर्ट जोधपुर में याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई के उपरांत हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक पद पर की गई पदोन्नति को निरस्त कर वापिस तृतीय श्रेणी अध्यापक बनाए जाने के निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर के आदेश 17 जून और संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा बीकानेर संभाग के आदेश 5 जुलाई पर तुंरत प्रभाव से रोक लगाते हुए शिक्षा विभाग जयपुर के सचिव, माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक और मेवाड़ विश्वविद्यालय चितौडग़ढ़ के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
अधिवक्ता इंद्रजीत यादव ने बताया कि यह शिक्षक तृतीय श्रेणी अध्यापक पद पर वर्ष 1997 में स्नातक विज्ञान और बीएड की योग्यता के आधार पर चयन हुआ था। सेवाकाल के दौरान मेवाड़ विश्वविद्यालय चितौडग़ढ़ से 2018 में संस्कृत विषय में एक वर्षीय अतिरिक्त स्नातक की योग्यता अर्जित कर ली थी।
इस अतिरिक्त योग्यता को संयुक्त निदेशक बीकानेर ने स्वीकार करते हुए 20 जून 2019 को उसे वरिष्ठ अध्यापक संस्कृत विषय में पदोन्नति कर दी। इसके उपरांत उसे 11 जुलाई 2019 को गांव 7 एलएल स्थित राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में पदस्थापित कर दिया गया।
अधिवक्ता यादव के अनुसार माध्यमिक शिक्षा विभाग बीकानेर के निदेशक ने 17 जून 2016 को एक आदेश जारी कर मेवाड़ विश्वविद्यालय चितौडग़ढ़ और संगम विश्वविधालय भीलवाड़ा से अर्जित अतिरिक्त योग्यता धारी अभ्यर्थियों की योग्यता को वरिष्ठ अध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए नियमों में निर्धारित योग्यता के अनुरूप मान्य नहीं मानते हुए याचिकाकर्ता की पदोन्नति को वापिस लेने की कार्रवाई के आदेश किए है।
अधिवक्ता यादव का कहना था कि याचिकाकर्ता की अतिरिक्त स्नातक योग्यता यूजीसी के नियमों के आधार पर सही है। इस मामले में शिक्षा विभाग बीकानेर के निदेशक के निर्देश पर बनी एक तीन सदस्य कमेटी संबंधित विश्वविधालयों से जांच कर चुकी है। इस कमेटी की रिपोर्टको दरकिनार कर निदेशक ने दोनों विश्वविद्यालयों की योग्यताओं को अमान्य माना है जबकि अन्य विश्वविद्यालयों से इस शिक्षक के समकक्ष अर्जित योग्यताधारी अभ्यर्थियों के विरुद्ध किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई।