
श्रीगंगानगर.
निजी स्कूल संचालक इस साल मनमाने तरीके से फीस वृद्धि न कर सके। स्टेशनरी व यूनिफार्म एक ही दुकान से खरीद करने के लिए अभिभावकों को मजबूर नहीं करें। साथ ही एडमिशन शुल्क के नाम पर अवैध रूप से अभिभावकों से वसूली नहीं हो।
इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) ने पंद्रह प्रधानाचार्यों की एक टीम गठित कर बिंदु बार विस्तृत जांच करवाई जा रही है। इसके लिए हर प्रधानाचार्य को तीन-तीन स्कूलों की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए पाबंद किया है। निजी स्कूल शहर और इसके आस-पास है। इसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट डीईओ ने सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी गई है।
क्या-क्या जांच में बिंदु
शिक्षा विभाग के अनुसार जांच में क्या निजी स्कूल संचालकों ने फीस निर्धारण समिति का गठन नियमानुसार फीस की वसूली की जा रही है। क्या स्कूल की ओर से अनुमोदित फीस ली जा रही है,या अधिक फीस ली जा रही है। क्या स्कूल की ओर से पुस्तकें, यूनिफार्म, जूते, टाई सहित अन्य सामान की खरीद के लिए एक दुकान विशेष से करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। क्या विद्यालय प्रशासन की ओर से बच्चों की फीस का भुगतान नहीं करने पर प्रताडि़त किया जा रहा है।
क्या अभिभावकों से कोई शपत पत्र लिया जा रहा है। इसमें पुनर्भरण प्राप्त न होने या विलंब की स्थिति में फीस वसूली अभिभावक से की जाएगी। निजी स्कूलों में कई नामी स्कूल भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि अभिभावक संघ निजी स्कूल संचालकों के खिलाफ फीस वृद्धि के मुद्दे को लेकर जिला कलक्टर, अतिरिक्त जिला कलक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी व शिक्षा निदेशालय तक बार-बार शिकायतें कर जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है।
पत्रिका ने उठया मुद्दा
राजस्थान पत्रिका ने निजी स्कूल संचालकों की ओर से फीस निर्धारण से अधिक फीस की वसूली और एडमिशन के नाम पर हर साल फीस की वसूली सहित कई मुद्दों को पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया है।
निजी स्कूलों के खिलाफ बार-बार शिकायतें मिल रही थी। इसलिए 15 प्रधानाचार्यों की एक टीम गठित कर निजी स्कूलों की जांच करवाई जा रही है।
-हरंचद गोस्वामी, जिला शिक्षा (अधिकारी)माध्यमिक शिक्षा विभाग, श्रीगंगानगर।
Published on:
26 Apr 2018 08:17 am
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