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वैचारिक मतभेद अलग बात है,लेकिन उनके विचार जानकर सभी को साथ लेकर साहित्यक वातावरण बनाने की दिशा में काम किया जाएगा

-संवाद कार्यक्रम के तहत पत्रकारों से मिले साहित्य अकादमी अध्यक्ष

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वैचारिक मतभेद अलग बात है,लेकिन उनके विचार जानकर सभी को साथ लेकर साहित्यक वातावरण बनाने की दिशा में काम किया जाएगा

वैचारिक मतभेद अलग बात है,लेकिन उनके विचार जानकर सभी को साथ लेकर साहित्यक वातावरण बनाने की दिशा में काम किया जाएगा

वैचारिक मतभेद अलग बात है,लेकिन उनके विचार जानकर सभी को साथ लेकर साहित्यक वातावरण बनाने की दिशा में काम किया जाएगा

-संवाद कार्यक्रम के तहत पत्रकारों से मिले साहित्य अकादमी अध्यक्ष

श्रीगंगानगर.राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण का कहना है कि अकादमी को प्रदेश के प्रत्येक जिले ही नहीं,हर कस्बे और बड़े गांव तक पहुंचाना है। इसी के दृष्टिगत हम काम कर रहे हैं ।
वे शुक्रवार को सर्किट हाउस में अकादमी के संवाद कार्यक्रम के पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हम प्रदेश की सभी तैंतीस जिलों में जिला साहित्यकार सम्मेलन कर रहे हैं। इसी शृंखला में श्रीगंगानगर में शनिवार एवं रविवार को चितलांगिया भवन में स्थानीय संस्था सृजन सेवा संस्थान के साथ मिलकर जिला सम्मेलन रखा गया है। इस दौरान साहित्यकार डॉ.मंगत बादल आदि भी मौजूद रहे।


इसके बाद सभी सातों संभागों में कार्यक्रम रखे जाएंगे। साथ ही लेखक से मिलिए, पाठक मंच, युवा लेखक सम्मेलन, लेखिका सम्मेलन इत्यादि भी रखे जा रहे हैं। विधागत कार्यक्रम भी रखे गए हैं। हमारा प्रयास है कि जहां तक अकादमी अब तक नहीं पहुंची,वहां तक अकादमी को पहुंचाया जाए। गांव-चौपाल में भी कार्यक्रम हों।
डॉ. सहारण ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने एक युवा होने के नाते मुझे अवसर दिया है, लिहाजा मेरा प्रयास युवाओं को आगे बढ़ाने का रहेगा। अकादमी की पत्रिका मधुमती में पचहतर प्रतिशत राजस्थान के रचनाकारों का स्थान आरक्षित किया है। इसमें पच्चीस प्रतिशत युवा रचनाकारों को अवसर मिलेगा। इसके अलावा युवा समारोह, युवा प्रशिक्षण शिविर इत्यादि भी लगेंगे। साथ ही वर्ग बदलाव की दिशा में भी काम करना चाहेंगे। किसान परिवार से जुड़़ा हूं।
अकादमी गठन और इसकी प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए कहा कि हमारे पुरखों ने अकादमी का गठन करते समय ध्यान रखा कि सभी अकादमियां एक ही जगह होने के बजाय उनका विकेंद्रीकरण हो। इसीलिए हिंदी की साहित्य अकादमी उदयपुर में है तो राजस्थानी की बीकानेर में, संस्कृत की जयपुर में है तो पंजाबी की श्रीगंगानगर में। संगीत नाटक अकादमी जोधपुर में है।

साहित्य अकादेमी में केंद्र सरकार के दखल पर ऐतराज

एक सवाल के जवाब में डॉ. सहारण ने कहा कि सरकार अकादमियों में अध्यक्ष का चयन करती है। इसके चलते अकादमियां अक्सर उपेक्षित हो जाती हैं। सरकार बदलते ही अकादमी अध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ता है। अगर नई सरकार पुराने अध्यक्ष से इस्तीफा मांगने से पहले नए अध्यक्ष के मनोनयन की कार्रवाई कर ले तो कम से कम अकादमियां उपेक्षित नहीं रहेंगी। उन्होंने भारत की साहित्य अकादेमी में केंद्र सरकार के बढ़ते दखल पर भी ऐतराज जताया। ऐसा कभी नहीं हुआ, जो अब हो रहा है।

साहित्यकार सबसे बड़ा तपस्वी
डॉ.सहारण के अनुसार साहित्यकार सबसे बड़ा तपस्वी होता है। वह आमजन की पीड़ा को स्वर देता है। इसलिए साहित्यकार को प्राथमिकता मिलनी ही चाहिए। वैचारिक मतभेद अलग बात है, लेकिन उनके विचार जानकर सभी को साथ लेकर साहित्यक वातावरण बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अध्यक्ष पद संभालने के बाद पूर्व अध्यक्षों से मुलाकात की। इनमें विरोधी विचारधारा के अध्यक्ष भी शामिल रहे थे। उनसे पूछा कि ऐसे कौनसे काम हैं, जो वे करना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाए। हम उन कामों को भी करने का प्रयास करेंगे।


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