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श्री गंगानगर

SriGanganagar छात्रा को आत्मदाह के लिए मजबूर करने पर बीस साल की कैद

Imprisonment for 20 years for forcing a student to commit suicide- अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी तीन माह किया देहशोषण
 

श्री गंगानगरSep 22, 2022 / 07:26 pm

surender ojha

SriGanganagar छात्रा को आत्मदाह के लिए मजबूर करने पर बीस साल की कैद

SriGanganagar छात्रा को आत्मदाह के लिए मजबूर करने पर बीस साल की कैद

श्रीगंगानगर। महज दसवीं कक्षा में अध्ययरनरत एक छात्रा को उसके रिश्तेदार ने ही उसे बेहोश कर अश्लील वीडियो बनाकर देह शोषण किया और वायरल करने की धमकी देकर सोने चांद और नकदी भी वसूल ली। पंचायत होने के बावजूद फिर से देहशोषण करने लगा तो इस छात्रा ने आत्मदाह कर ली। करीब तीन साल पहले सादुलशहर क्षेत्र में हुई इस घटना के दोषी आरोपी को अब अदालत ने बीस साल कारावास व 75 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। यह निर्णय गुरुवार को पोक्सो एक्ट प्रकरणों की स्पेशल कोर्ट के स्पेशल जज अरुण कुमार अग्रवाल द्वितीय ने सुनाया।
विशिष्ट लोक अभियोजक नवप्रीत कौर ने बताया कि 3 जून 2019 को पन्द्रह वर्षीय पीडि़ता ने लालगढ़ जाटान पुलिस को बताया कि वह दसवीं कक्षा में अध्ययनरत है।
करीब तीन माह पहले उसके माता-पिता खेत में काम करने गए हुए थे तो घर में अकेली थी तब रिश्तेदार गांव हाकमाबाद निवासी ताराचंद उर्फ तारा उर्फ ताराराम पुत्र राजाराम कुम्हार आया और उसे इत्र की खुशबू की बात कहते हुए अपनी जेब से रूमाल निकाला और नशीली दवा से उसे सूंघाकर बेहोश कर दिया। इस दौरान उससे दुष्कर्म किया। जब उसे होश आया तो आरोपी तारांचद ने धमकाया कि उसने मोबाइल फोन में अश्लील वीडियो बना ली और उसे वायरल कर दूंगा। इससे वह सहम गई। इस वीडियो को लेकर वह देहशोषण करने लगा। यहां तक कि उसे बाहर ले जाने के लिए उसके घर में रखे पन्द्रह तौला सोने व चांदी के जेवर व बीस हजार रुपए की नकदी भी लेकर चला गया और उसे भी अपनी बाइक पर बिठा लिया। इस संबंध में पीडि़ता के परिजनों ने पीडि़ता को ढूंढकर अपने घर ले गए।
अगले दिन 4 मई 2019 को पंचायत हुई तो आरोपी तारांचद, ताराचंद का पिता राजाराम, ताराचंद की मां कृष्णदेवी और पत्नी ममता ने अपनी गलती मानी और आगे ऐसी हरकत नहीं करने का आश्वासन दिया।
पीडि़ता ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि परिजनों की पंचायत का असर आरोपी ताराचंद पर नहीं हुआ। इस समझौते के बावजूद आरोपी ताराचंद ने अपनी हककतें फिर से शुरू कर दी और फिर से वीडियो वायरल की धमकी दे दी। इससे आहत होकर पीडि़ता ने मजबूर होकर तेल डालकर खुद को आग लगा ली। यहां राजकीय जिला चिकित्सालय से उसे बीकानेर रैफर किया। वहां से हालत खराब होने पर परिजन घर ले आए। इस संबंध में पीडि़ता के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की। एसपी के आदेश पर लालगढ़ पुलिस ने तारांचद और उसके परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इस संबंध में पीडि़ता के कलमबंद बयान भी हुए, इसमें पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया। कुछ दिन बाद पीडि़ता की मृत्यु होने पर पुलिस ने इस प्रकरण में आत्महत्या के लिए मजबूर करने की धारा भी और जोड़ दी। पुलिस जांच में आरोपी ताराचंद उर्फ तारा को ही दोषी माना और अन्य परिजनों को जांच में दोषी नहीं माना।
इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान 11 गवाहों ने अपने बयान और अभियोजन पक्ष की ओर से 30 दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। इस दौरान बचाव पक्ष ने आरोपी को बाल बच्चेदार का हवाला देकर नरमी का रूख अपनाए जाने का आग्रह किया लेकिन अदालत ने इसे स्वीकारा नहीं। यह आरोपी 5 जून 2019 से अब तक न्यायिक अभिरक्षा में चल रहा है।
इस संबंध में अदालत ने आरोपी ताराचंद उर्फ तारा उर्फ ताराराम पुत्र राजाराम को दोषी मानते हुए आईपीसी की धारा 376 में बीस साल कठोर कारावास व पचास हजार रुपए जुर्माना, आईपीसी की धारा 306 में दस साल कठोर कारावास व दस हजार रुपए जुर्माना, पोक्सो एक्ट की धारा 3-4 में सात साल कठोर कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माना, पोक्सो एक्ट की धारा 5 एन-6 और धारा 5 एल-6 में दस-दस साल कठोर कारावास व दस-दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

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