
बीबीएमबी के कुप्रबंधन का खमियाजा भुगत रहे किसान
श्रीगंगानगर.
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के कुप्रबंधन का खमियाजा इंदिरा गांधी नहर के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। बोर्ड ने 19 जुलाई से 6 सितम्बर तक पौंग, भाखड़ा और रणजीत सागर से इतना अधिक पानी छोड़ा कि वह पंजाब और राजस्थान के किसानों को मिलने के बजाय पाकिस्तान चला गया। नतीजन इंदिरा गांधी नहर के तीन में से एक ग्रुप चलाकर किसानों को सिंचाई सुविधा दी जा रही है। इस पानी का बांधों में संग्रहण होता तो मार्च तक इंदिरा गांधी नहर में चार में से दो ग्रुप चलाए जा सकते थे।
अधीक्षण अभियंता एवं जल नियंत्रक चण्डीगढ़ के लोक सूचना अधिकारी ने किसान संघर्ष समिति श्रीगंगानगर को सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी उपलब्ध करवाई है उसके अनुसार 19 जुलाई से 6 सितम्बर तक रावी नदी का 1 लाख 33 हजार 335 क्यूसेक डेज माधोपुर हैड से तथा 2 लाख 56 हजार 3 क्यूसेक डेज पानी हुसैनीवाला हैडवक्र्स होते हुए पाकिस्तान चला गया। इस प्रकार कुल 3 लाख 89 हजार 358 क्यूसेक डेज पानी पाकिस्तान चला गया।
बांधों की भराव क्षमता
राजस्थान के अलावा पंजाब और हरियाणा को सिंचाई और पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवाने वाले भाखड़ा बांध की भराव क्षमता 1690 फीट पौंग बांध की 1400 फीट तथा रणजीत सागर बांध की भराव क्षमता 527.90 मीटर मानकर निर्माण किया गया था। भराव क्षमता के अनुसार ही इन तीनों बांधों में पानी भरा जाता था। लेकिन बाद में बीबीएमबी ने एक आदेश जारी कर भाखड़ा बांध की भराव क्षमता 1680 फीट तथा पौंग बांध की भराव क्षमता 1390 फीट तय कर दी।
वर्ष 2017 में इस क्षमता तक बांध नहीं भरे और बीबीएमबी ने बांधों से ज्यादा पानी छोड़ दिया जो राजस्थान और पंजाब की नहरों की हालत खस्ता होने के कारण माधोपुर हैड और हुसैनीवाला हैडवक्र्स होते हुए पाकिस्तान चला गया।
प्रधानमंत्री को जानकारी दी
किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता सुभाष सहगल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान बठिण्डा में हुई जनसभा में पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी नहीं जाने देने के लिए कार्य योजना बनाने की घोषणा की थी। लेकिन बीबीएमबी के कुप्रबंधन के कारण 3 लाख 89 हजार 358 क्यूसेक डेज पानी पाकिस्तान चला गया। इसका नुकसान हमारे किसानों को हुआ है। अब इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को देकर व्यवस्था में सुधार की मांग की गई है।
कुप्रबंधन की मार किसानों पर
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड हो या फिर राजस्थान का जल संसाधन विभाग। इनके कुप्रबंधन का खमियाजा हमेशा किसानों को भुगतना पड़ा है। राजस्थान के किसान इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। पाकिस्तान जाने वाले पानी का संग्रहण अगर बांधों में होता तो इंदिरा गांधी नहर के किसानों को फसल की पकाई तक समय पर पर्याप्त पानी मिलता रहता। लेकिन अब गेहूं की फसल की बर्बादी तय है।
-पवन दुग्गल, पूर्व विधायक, अनूपगढ़
Updated on:
05 Feb 2018 06:20 am
Published on:
05 Feb 2018 05:28 am
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