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लक्ष्मी’, ‘राज दिलवार’व ‘चेतक’की अश्व मेला में अलग पहचान

-कृषि बाहुल्य श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में अश्वपालन की तरफ बढ़ रहा किसानों का रूझान  

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लक्ष्मी’, ‘राज दिलवार’व ‘चेतक’की अश्व मेला में अलग पहचान

लक्ष्मी’, ‘राज दिलवार’व ‘चेतक’की अश्व मेला में अलग पहचान

अश्व मेले का आज अंतिम दिन

‘लक्ष्मी’, ‘राज दिलवार’व ‘चेतक’की अश्व मेला में अलग पहचान

-कृषि बाहुल्य श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में अश्वपालन की तरफ बढ़ रहा किसानों का रूझान

श्रीगंगानगर. कृषि बाहुल्य श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में अश्वपालन की तरफ किसानों का रूझान बढ़ता जा रहा है। युवा पीढ़ी नशा से बचने और अपना शौक पूरा करने के लिए अश्वपालन करते हैं। अश्वपालन कृषि के सहायक धंधे के रूप में क्षेत्र में काफी पनप चुका है। अश्व मेले में घोड़ा-घोडिय़ों की हिनहिनाहट की चारों तरफ गूंज बनी हुई है। मेले में लक्ष्मी, राज दिलवार व चेतक घोड़ा काफी चर्चा में है। अश्वपालकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद अश्वपालन की तरफ किसानों का रूझान बढ़ा है। सााथ ही जिसके घर घोड़ा या घोड़ी रखी जाती है उसकी गांव व क्षेत्र में अलग पहचान होती है। अश्वपालन की तरफ खेत जाने के लिए घुड़सवारी करते है। अश्व मेला महाराणा प्रताप घोड़ा पालक समिति श्रीगंगानगर के तत्वावधान में 19 नवंबर से शुरू हुआ था, गुरुवार को समापन होगा।

सवा करोड़ रुपए का मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा
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करणपुर क्षेत्र के गांव श्रीनगर निवासी युवा लाली का कहना है कि उनके पास मारवाड़ी नस्ल का राज दिलवार नाम का घोड़ा है। इसकी आयु पौने पांच वर्ष है और इस घोड़े को पांच पीपी गांव से खरीद किया था। अब इस घोड़े की कीमत सवा करोड़ रुपए है। पीढ़ी-दर पीढ़ी अश्व पालन किया जा रहा है। युवा पीढ़ी का भी अवश्पालन की तरफ काफी रूझान है। इस मारवाड़ी नस्ल के घोड़े के बारे में वह कहते हैं कि इसके कान जुड़े व गर्दन लंबी है। इसका शरीर भी मजबूत है। इस कारण मारवाड़ी घोड़ों की काफी मांग बनी हुई है।
सबसे सुंदर घोड़ी नुकरी नस्ल की

सीधे कान, सफेद रंग, अच्छी कद-काठी व पैर मजबूत। यह नुकरी नस्ल की लक्ष्मी नाम की घोड़ी अश्व मेले में सबसे सुंदर घोडिय़ों में से एक है। रायसिंहनगर तहसील क्षेत्र के गांव सांवतसर 32 पीएसी निवासी मोहन लाल जांदू ने बताया कि नुकरी नस्ल की घोड़ी की कीमत 21 लाख रुपए है। इसकी 18 लाख रुपए की कीमत लगा दी गई है। जांदू का कहना है कि यह घोड़ी शादी-विवाह में जाती है और नृत्य करती है। इसकी शादी-विवाह में काफी मांग है। श्रृंगार के लिए तीन किलो चांदी पहनाई जाती है।

ब्रीड में चेतक की ज्यादा मांग
पदमपुर निवासी मूलचंद मिगलानी का अच्छी कद-काठी व सफेद रंग का 69 ईंच ऊंचाई का चेतक घोड़ा है। यह नुकरा नस्ल का घोड़ा है और इसकी कीमत 16 लाख रुपए तक आंकी गई है। इसकी कद-काठी देकर अन्य अश्वपालक इसकी ब्रीड की मांग ज्यादा कर रहे हैं। इस कारण इसके बच्चे भी ज्यादा ऊंचाई वाले होते हैं।

हिनहिनाहट से गूंजा अश्व मेला
पदमपुर बाइपास पर 19 नवंबर से अश्व मेला चल रहा है और अश्व मेला का गुरुवार को संपन्न होगा। श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर यह 19 वां अश्वमेला है और अश्व मेला पूरे परवान पर है। अश्व मेला में घोड़ा-घोडिय़ों की हिनहिनाहट की गूंज बनी हुई है।

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कहां-कहां से आए अश्व मेला में
अश्व मेले में पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ व नागौर जिले से अश्वपालक अश्व लेकर आए हुए हैं। पंजाब के मुक्तसर से ज्यादा अश्व मेले में आए हुए हैं।अश्व मेले में खरीफ-फरोख्त के लिए यूपी,बिहार व दिल्ली से व्यापारी आए हुए हैं।

अश्वों की कीमत

नुकरा-2 से 15 लाख रुपए
-काला मारवाड़ी-पांच लाख से 60 लाख

-चंबा-दो लाख से तीन व चार लाख
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अश्वों की नस्लों की पहचान
-नुकरा-पूरा सफेद ।

-चंबा-चारों पैर व मुंह सफेद।
-काला-सारा शरीर काला।

-कुमैत-शरीर ललिमा पूर्ण।
-सब्जा-शरीर पर थोड़े-थोड़े सफेद बाल।

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श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में अश्वपालन के लिए यहां का वातावरण अनुकूल है। यहां पर अश्वों के लिए चना, जौ, जेई आदि की फसल भी अच्छी होती है। इस कारण इस क्षेत्र के किसानों का अश्वपालन की तरफ रूझान देखने को मिल रहा है। अश्व मेले में मुक्त सर से भी काफी संख्या में घोड़े लाए गए हैं।

-गुरमेल सिंह पटवारी, अश्व पालक, मुक्तसर।

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श्रीगंगानगर में 19वां अश्व मेला पदमपुर बाइपास पर लगाया गया है। इसमें इस बार छह सौ से अधिक अश्व पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ व नागौर से आए हैं। मेले में करीब 70 अश्वों की खरीद-फरोख्त हुई है। गुरुवार को अश्व मेले का समापन होगा।

-मनराज सिंह, सचिव, महाराणा प्रताप घोड़ा पालक समिति, श्रीगंगानगर।