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पुत्र के बाद पति खोया, जो आया वो रोया

छिन्द्रपाल कौर का पुत्र के बाद अब पति खो गया। सप्ताहभर में जो भी इस पचपन वर्षीय महिला का दुख साझा करने आया, रोए बिना नहीं रह सका।

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road accident death

श्रीगंगानगर.

छिन्द्रपाल कौर का पुत्र के बाद अब पति खो गया। सप्ताहभर में जो भी इस पचपन वर्षीय महिला का दुख साझा करने आया, रोए बिना नहीं रह सका। कई साल पहले युवा पुत्र दौलत की मौत हो गई और अब किन्नू कटाई कर घर लौटते समय पति सड़क हादसे में जान गंवा बैठा। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले जग्गसीर उर्फ जग्गा के सहारे ही तो जिन्दगी की गाड़ी जैसे-तैसे चल रही थी। छिन्द्रपाल के अलावा परिवार में बहू, 12 साल की पोती कोमल और 11 वर्ष का पोता जोबनप्रीत है। तीनों बेटियां ब्याही हुई है। छिन्द्रपाल खुद कैंसर की बीमारी से जूझ रही है, ऐसे में उसे यह नहीं सूझ रहा कि परिवार का गुजारा कैसे करेगी।

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जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर पंजाब का गांव उस्मानखेड़ा पूरा उदास है। छिन्द्रपाल के परिवार जैसी स्थिति एक-दो नहीं पांच परिवारों की है। सड़क हादसे ने इनको जिन्दगीभर का गम दे दिया। गांव में पसरे सन्नाटे में रह, रहकर सिसकियां सुनी जा रही है। गुवाड़ में लोग पहले की तरह इक तो होते हैं लेकिन हंसी-ठठ्ठे और हथाइयों की जगह मृतकों के परिवारों की कैसे पड़ेगी पार? सवाल के जवाब ढूंढ़ते नजर आते हैं।


मृतक टहलाराम के यहां शोक व्यक्त करने आए हुए एक जने ने कहा कि रब तो रूठा जो रूठा, राज की कोई मदद भी आज तक नहीं मिली है। पांच भाई के उसके परिवार में सभी के अलग-अलग चूल्हे, रिहाइश और जिम्मेदारी होने से टहलाराम के पत्नी और पांचों बच्चों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। सबसे बड़ी संतान 12-13 साल की बेटी सोनू है। फिर है मंजू, माणी और बेटे यशराम एवं कश्मीर। सांत्वना देने आने वाले ढाढस बंधवाने के बजाए इन मासूम बच्चों को देखकर खुद भावुक हो रहे हैं।

जग्गा के भतीजे तरसेम सिंह का कहना था कि परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए अधिक से अधिक मदद जल्दी मिलनी चाहिए। हादसे में जान गंवाने वाले दिहाड़ी मजदूर बलोरसिंह, कालूराम एवं ज्ञानीराम के परिवारों के भी रो-रोकर बुरे हाल हैं। ग्रामीण रामकुमार का कहना था कि पांचों परिवारों की माली हालत देखते हुए पूरी आर्थिक मदद दी जानी चाहिए साथ ही भविष्य में ऐसी स्थिति से कुछ उबरने के लिए दिहाड़ी मजदूरों का बीमा जैसी कोई व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।


प्रशासन ने भेजा प्रस्ताव
उस्मानखेड़ा के मृतकों के आश्रित को 50-50 हजार रुपए की सहायता राशि देने का प्रस्ताव बनाकर फाजिल्का के जिला प्रशासन को श्रीगंगानगर से भिजवाया जा चुका है। उप जिला कलक्टर यशपाल आहूजा ने बताया कि अबोहर के विधायक अरूण नारंग एवं श्रीगंगानगर भाजपा के जिलाध्यक्ष हरीसिंह कामरा ने इस बारे मे सम्पर्क किया था। पंजाब से सरकारी सहायता राशि नहीं ली होने का प्रमाण पत्र मिलते ही राशि जारी कर दी जाएगी। राज्य में हुई दुर्घटना पर दूसरे प्रान्त वालों को भी सहायता राशि देने का प्रावधान है लेकिन यह प्रमाण पत्र लेना होता है कि अन्यत्र कहीं से सहायता राशि प्राप्त नहीं की
गई है।


मदद का इंतजार
सप्ताह पहले यहां हुए सड़क हादसे में कमाऊ सदस्य को खोने वाले उस्मानखेड़ा के पांचों परिवारों को मदद की मरहम का इंतजार है। आर्थिक रूप से बहुत कमजोर होने के बावजूद इनकी शुक्रवार शाम तक किसी ने सुध नहीं ली है। न कोई सरकारी मदद इन तक पहुंची है और न किसी सामाजिक संगठन आदि का ध्यान इनकी तरफ गया है। विधायक अरुण नारंग एवं पूर्व मंत्री सज्जनकुमार जाखड़ ने इनके घरों में आकर दुख तो जताया है लेकिन अभी तक सहायता के नाम पर किसी ने कुछ नहीं दिया है।