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पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर के लिए मुसीबत बना की-पैड मोबाइल

की-पैड मोबाइल पिछले लंबे समय से देशभर के पुलिस कंट्रोल रूम के 100 के लिए मुसीबत बना हुआ है। 100 नंबर पर कॉल नहीं मिलने के चलते पुलिसकर्मियों

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Police Control Room

पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर के लिए मुसीबत बना की-पैड मोबाइल

श्रीगंगानगर.

की-पैड मोबाइल पिछले लंबे समय से देशभर के पुलिस कंट्रोल रूम के 100 के लिए मुसीबत बना हुआ है। 100 नंबर पर कॉल नहीं मिलने के चलते पुलिसकर्मियों को जवाब देना भारी पड़ रहा है। वहीं यह सेवा मुहैया कराने वाले उपक्रम बीएसएनएल अधिकारियों के भी यह माजरा समझ नहीं आ रहा है। इसके चलते जरुरतमंद व्यक्ति इमरजेंसी में पुलिस को सूचना दे ही नहीं पा रहा है। इससे लोगों की शिकायतें बढ़ती ही जा रही है। पुलिस कंट्रोल रूम प्रभारी सुखदेव सिंह ने बताया कि कंट्रोल रूम में चौबीस घंटे दो पुलिसकर्मी फोन उठाने के लिए तैनात रहते हैं।

यहां 100 नंबर की दो लाइन, 2443055 व 2443100 की एक-एक लाइन का फोन है। सबसे ज्यादा फोन 100 नंबर की दोनों लाइनों पर आते हैं। चौबीस घंटे में हजारों की संख्या में 100 नंबर पर कॉल आते हैं लेकिन उनमें कुछ ही कॉल काम के होते हैं। शेष अन्य कॉल गलती से की हुई होती है। यह प्रमुख समस्या - किसी भी की-पैड वाले मोबाइल में की लॉक लगा होने के बाद कोई बटन दबाता है तो वह इमरजेंसी नंबर पर कॉल लगा देता है। यह कॉल सीधा पुलिस कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर जाकर लगता है। यह जिस जिले में मोबाइल से दबाया जाएगा, उसी जिले के पुलिस कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर जाकर लगेगा। ऐसे में लोगों की अनदेखी के चलते गलती से की-पैड वाले मोबाइलों से कोई की दब जाती है, जिससे कंट्रोल रूम में फोन आते रहते हैं।दिनभर में हजारों लोग ऐसी गलतियां कर रहे हैं।

छोटे बच्चे भी कम नहीं

घर वाले छोटे मोबाइल में की-लॉक लगाकर बच्चों को मोबाइल खेलने के लिए दे देते हैं। बच्चे मोबाइल के सभी नंबर व बटन दबाते रहते हैं। इसके चलते की-पैड वाले मोबाइल से इमरजेंसी कॉल लग जाती है। बुधवार को जब एक कॉल सौ नंबर पर कटी नहीं और उसमें बच्चे की आवाज आती रही। उसके कटने के बाद कंट्रोल रूम प्रभारी ने वापस कॉल किया तो दूसरी तरफ से एक महिला ने जवाब दिया। उसने कहा कि उसका एक साल का बच्चा मोबाइल से खेल रहा था, जिससे कॉल लग गई। पुलिसकर्मियों ने बताया कि गत रात एक कॉल काफी देर तक अटकी रही और आवाज कुछ नहीं आई।

इस पर जब वापस कॉल लगाया गया तो दूसरी तरफ से एक युवक बोला। उसके कॉल के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि पानी टूट गया था। इसलिए उसने टॉर्च जलाकर मोबाइल मुंह में पकड़ लिया था और इमरजेंसी कॉल लग गई। इसी तरह रात को सोते समय मोबाइल नीचे दब जाने से कंट्रोल रूम में कॉल लग जाती है। इसलिए है यह सेवा - पुलिसकर्मियों का कहना है कि मोबाइलों में यह सेवा इसलिए दी गई है। यदि कोई व्यक्ति मुसीबत में हो और मोबाइल में लॉक लगा हो। तो ऐसे में वह अपने या किसी दूसरे के मोबाइल से इमरजेंसी कॉल कर पुलिस को सूचना देकर सहायता प्राप्त कर सकता है।

यह कॉल करीब पंद्रह सैंकेड तक अपने आप नहीं कटती है। लेकिन लोगों की अनदेखी के चलते यह इमरजेंसी सेवा का लाभ मुसीबत में पड़े व्यक्ति को नहीं मिल पा रहा है। 100 नंबर पर कॉलर ट्यून लगाने की मांग - पुलिसकर्मियों ने बताया कि 100 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम की कॉलर ट्यून लगा दी जाए तो ऐसे कॉल्स में कमी आ सकती है। गलती कॉल्स लगने पर लोग उसे जल्दी काट देंगे और उनको पता चल जाएगी कि यह कॉल पुलिस कंट्रोल रूम में लगी है। इससे 100 नंबर पर अधिक कॉल्स का दबाव नहीं रहेगा। इनका कहना है - पुलिस कंट्रोल के 100 नंबर पर मोबाइलों से गलती लगने वाले कॉल्स की भरमार रहती है।

जिससे फोन बिजी बताता है। इसके लिए जल्द ही 100 नंबर की एक या दो लाइन ओर ली जाएंगी। इसके बाद चार लाइन हो जाएंगी तो लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी। -सुरेन्द्र सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीगंगानगर - कंट्रोल रूम के सभी फोन चेक कराए हैं। 100 नंबर वहां मोबाइल से आने वाली इमरजेंसी कॉल्स के कारण बिजी बताता है। यह कॉल करीब एक मिनिट तक नहीं कटती है। इसके चलते कुछ परेशानी आ रही है। -दिनेश गर्ग, जीएम बीएसएनएल श्रीगंगानगर।