इस नई प्रक्रिया शुरू होने से मस्टरोल में श्रमिकों के नाम पर फर्जी नाम से भुगतान उठाने की शिकायतों पर विराम लग सकेगा। इसी महीने सरकार ने आदेश जारी कर मोबाइल एप पर मस्टरोल को प्रभावी बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इसकी कवायद शुरू की है।
राशन डिपो पर पोस मशीनों के संचालन से पहले खाद्य सामग्री के वितरण में गड़बड़ी की अधिकांश शिकायतें आती थी, इस कारण पात्र उपभोक्ताओं को सरकार की ओर से आवंटित हुआ गेहूं तक नहीं मिलता था।
लेकिन पोस मशीनों के इस्तेमाल होने के बाद एेसी शिकायतों पर एकाएक ब्रेक लगा है। सरकार की मंशा है कि पोस मशीने की तर्ज पर मनरेगा श्रमिकों की हाजिरी तय की जाएं तो मनरेगा का करोड़ों रुपए का बजट लीकेज के रूप में बच सकता है।
फर्जीवाड़े से नाम अंकित करने का ढर्रा भी सुधर सकता है। मरेगा मजदूरों को दिहाड़ी लगाने के एवज में कई सरपंच भी अपना हिस्सा मांगने लगे है। चार दिन पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने सूरतगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र की ग्राम पंचायत ग्राम पंचायत एक एलएम के सरपंच सतपाल मेघवाल और उसके भाई रामप्रताप को नरेगा श्रमिकों को मिलने वाली मजदूरी की राशि में से आधी रकम 15 हजार 120 रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया था।
एसीबी अधिकारियों की माने तो मनरेगा कार्य के नाम पर पहले पंचायतराज विभाग के कार्मिक रिश्वत मांगते थे लेकिन यह काम कई सरपंचों ने शुरू कर दिया है।