स्वास्थ्य अधिकारी गौतमलाल ने बताया कि अब तक गली मोहल्ले से कचरा उठाव के लिए नगर परिषद के टैम्पों और ट्रेपर के माध्यम से उठाया जा रहा है, टैम्पों या ट्रेंपर कचरे से भरने के बाद चक ६ जैड के पास स्थित डंपिंग प्वाइँट पर कचरा डाला जाता है।
एसे में पूरे दिन में एक टैम्पों चालक दिन में दो ही बार चक्कर काटते है। इस वजह से पूरे शहर का कचरा एक ही दिन में उठाव नहीं हो रहा था। वहीं चक6 जैड स्थित डंपिंग प्वाइंट तक टैम्पों की आवाजाही अधिक प्रभावित हो रही है। डंपिंग प्वाइंट पर पोक लेन मशीन के माध्यम से कचरे को एकत्र किया जा रहा है। डंपिंग प्वाइंट के अंदर टैम्पों नहीं जा पाता।
इस वजह से अब खाली पड़ी गौशाला में कचरा डालने का केन्द्र बनाया जाएगा ताकि जैसे ही टैपों कचरा लेकर आया तो उसे जेसीबी मशीन के माध्यम से बड़े ट्रक में डाला जा सके।
इससे संबंधित टैम्पों दिन में पांच बार कचरे का उठाव गली मोहल्ले से कर पाएगा। सफाई व्यवस्था में कचरा उठाव बड़ी चुनौती है।
करीब पन्द्रह साल पहले शहर के कुछ दानदाताओं को नगर परिषद ने गौशाला संचालित करने के लिए अनुमति दी थी।
लेकिन वहां एक साथ कई पशुआें की मौत के बाद इस गौशाला का संचालन बंद कर दिया गया। हालांकि नगर परिषद ने तीन साल पहले मिर्जेवाला रोड पर नंदीशाला खोल दी। एेसे में बंद पड़ी गौशाला का इस्तेमाल गौवंश रखने की बजाय अब कचरा स्थल बनाने का निर्णय नगर परिषद प्रशासन ने किया है।