कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ. मिलिन्द सिंह के अनुसार सिंचित एवं बारानी, दोनों क्षेत्र की फसलों को वर्षा का लाभ है। बारानी क्षेत्र में जो किसान अभी तक ग्वार, बाजरा, मूंग की बुवाई नहीं कर पाए वे अब बुवाई कर सकेंगे। नरमा-कपास की जल मांग भी इस वर्षा से पूरी हुई है, यही स्थिति किन्नू के साथ है। बागों को इन दिनों पानी की दरकार थी, यह पूरी हुई है।
सावधानी है आवश्यक
किसानों को सावधानी रखने की भी पूरी जरूरत है। खेतों एवं बागों में पानी अधिक समय तक खड़ा नहीं रहना चाहिए। ऐसी स्थिति हो तो जल निकासी का समुचित प्रबंध करना चाहिए। वर्षा के बाद मौसम खुला है, बीच-बीच में तेज धूप भी रही। किसानों को खेत एवं बाग का नियमित निरीक्षण करते रहना चाहिए और किसी प्रकार के कीट-रोग आदि का लक्षण दिखने पर सिफारिश के अनुसार उपाय करने चाहिए।
श्रीगंगानगर पर सर्वाधिक मेहरबानी
कुदरत ने इस साल श्रीगंगानगर तहसील पर सबसे अधिक मेहरबानी की है। वर्ष 2018 में अभी तक 236 एमएम वर्षा के साथ श्रीगंगानगर तहसील, जिले में प्रथम है। उसके बाद नम्बर आता है श्रीकरणपुर का। घड़साना एवं सादुलशहर में एक जितनी 110-110 एमएम वर्षा हुई है। रावला में सबसे कम सिर्फ 35 एमएम वर्षा अभी तक रिकॉर्ड हुई है।
धान मंडियां रही सूनी
क्षेत्र में वर्षा के चलते धान मंडियां शनिवार को सूनी रहीं। इन दिनों वैसे तो ऑफ सीजन चल रहा है लेकिन गेहूं, सरसों, जौ, चना ग्वार की कुछ ढेरियां आती रहती है। जिला मुख्यालय की नई धान मंडी में शुक्रवार को इन कृषि जिन्सों की कुल आवक करीब डेढ़ हजार क्विंटल रही थी लेकिन बाद में वर्षा की झड़ी लग गई। इस वजह से शनिवार को इस मंडी सहित वर्षा प्रभावित सभी मंडियों में आवक नगण्य रही।