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Rajasthan Assembly Election 2023: सियासत बिगाड़ रही सूरत…गढ़ गुस्से में, जिला न मिलने का गिला

Rajasthan Assembly Election 2023: सीमावर्ती जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में करीब चार सौ किलोमीटर का सफर तय कर हम थर्मल पावर कॉटन सिटी सूरतगढ़ पहुंचे। जिला घोषित न होने से इस गढ़ के लोग बेहद गुस्से में लगे।

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आशीष जोशी/ श्रीगंगानगर. Rajasthan Assembly Election 2023: सीमावर्ती जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में करीब चार सौ किलोमीटर का सफर तय कर हम थर्मल पावर कॉटन सिटी सूरतगढ़ पहुंचे। जिला घोषित न होने से इस गढ़ के लोग बेहद गुस्से में लगे। बोले, सूरतगढ़ के साथ सियासत हो रही है। लोग यहां करीब डेढ़ महीने से धरने पर बैठे हैं। धरना स्थल पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा इन्हें संघर्ष के लिए प्रेरित करती नजर आई। यहां इंजीनियर रमेशचंद्र माथुर मिले। बोले, मुख्यमंत्री से मिलने के लिए जयपुर जाने की योजना बना रहे हैं। सूरतगढ़ जिला क्यों बनना चाहिए...यह समझाकर आएंगे। सूरतगढ़ जिला बनाओ अभियान समिति के अध्यक्ष एडवोकेट विष्णु शर्मा ने कहा, राज्य सरकार को भूल सुधारने का मौका दे रहे हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि इसी मानसून सत्र में सीएम सूरतगढ़ को जिला घोषित करेंगे। आक्रोशित ओमप्रकाश सोमाणी बोले, जिला बनाने के लिए जी-जान लगा देंगे। भेदभाव हुआ तो ईंट से ईंट बजा देंगे। 1927 में रियासतकाल में इसे जिले का दर्जा था। तीस साल पहले ही जिला बन जाना चाहिए था। पहले हनुमानगढ़ बना और अब अनूपगढ़। साथ ही ये भी बोले, जनता उग्र भी हो सकती है।


फसल ज्यादा, फिर भी किसान दुखी
पास बैठे करणीदान सिंह ने कहा कि फसल खरीदने वाला सिस्टम ऑनलाइन कर दिया। किसान ऑफलाइन चाहता है। फसल ज्यादा होने से उलटा किसान दुखी हो रहा है। क्योंकि सरकार कम मात्रा में खरीद कर रही है। बलराम वर्मा बोले, जब तक जिले की घोषणा नहीं हो जाती, आंदोलन जारी रखेंगे।

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एटा सिंगरासर माइनर की आस अधूरी
रास्ते में चाय की थड़ी पर रमेशकुमार मिले। कहा, सूरतगढ़ दो भू-भागों में बंटा हुआ है। एक इंदिरा गांधी नहर परियोजना, गंगनहर, भाखड़ा कैनाल से सिंचित समृद्ध क्षेत्र है तो दूसरा टिब्बा बेल्ट डार्क जोन में है। टिब्बा क्षेत्र के लिए संजीवनी एटा सिंगरासर माइनर के नाम पर दोनों ही प्रमुख पार्टियां अपनी सियासी रोटियां सेक रही हैं, लेकिन आज तक यह धरातल पर नहीं आया।


उधर मुस्तैदी, इधर कोई नहीं
श्रीगंगानगर से हम प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची में पहले स्थान पर आने वाले सादुलशहर विधानसभा क्षेत्र में दाखिल हुए। नशे की मंडी के नाम से बदनाम इस क्षेत्र में नशा सबसे बड़ी समस्या है। क्षेत्र का साधुवाली राजस्थान की सीमा का अंतिम गांव है। इसके आगे पंजाब का फाजिल्का जिला शुरू हो जाता है। यहां राजस्थान पुलिस के नाके पर कोई नहीं दिखा, लेकिन पंजाब नाके पर जवान मुस्तैद थे।

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गाजर मंडी बिसराई, ट्रेन कैंसर स्पेशल
साधुवाली में एक दुकान के बाहर कुछ लोग बैठे चर्चा कर रहे थे। हम भी शामिल हो गए। देवीलाल सारस्वत बोले, यहां की गाजर देश के कई राज्यों में जाती है। गाजर मंडी स्वीकृत हुए काफी समय हो गया, लेकिन अब तक नहीं बनी। आगे बढ़े तो पंचर की दुकान पर बैठे उग्रसेन ने कहा, नहर में लुधियाना की फैक्ट्रियों का रासायनिक पानी गंभीर रोग फैला रहा है। रोशनलाल ने बात को आगे बढ़ाया और बोले-सादुलशहर इलाके में हर दूसरे घर में कैंसर का मरीज है। रात को जो ट्रेन जाती है, उसका तो नाम ही कैंसर स्पेशल ट्रेन हो गया है।


यहां उपज तुल नहीं रही, वहां बेच नहीं सकते
सादुलशहर विधानसभा क्षेत्र के मनोहर कड़वासरा ने कहा, सरसों की एमएसपी 5450 है। जबकि बिक 4200 रुपए में रही है। राज्य सरकार या तो एमएसपी पर पूरी उपज खरीदे या फिर आर्थिक राहत दे। पास में खड़े राकेशकुमार बोले, एमएसपी के कारण हमारा कनक नहीं तुल रहा। पंजाब में उपज ले जाने नहीं देते। नाके वाले रोक देते हैं। हमारे गांव की दो ट्रोलियां कल ही गई थी, पंजाब वालों ने पेनल्टी लगाकर वापस भेज दी।

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