
Rajasthan Assembly Election Result 2023: आजादी के बाद से दो परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही तथा बीते साढ़े तीन दशक से दो दिग्गजों का केंद्र बिन्दु रही हनुमानगढ़ विधानसभा की सियासत में इस बार एक निर्दलीय की एंट्री ने सारे समीकरण ही पलट दिए। बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के चुनाव में उतरे निर्दलीय गणेशराज बंसल के पास वोट मांगने की वजह सिर्फ उनका काम थी। सभापति रहते हुए उन्होंने हनुमानगढ़ में कई विकास कार्य करवाए, जिससे उनकी जीत हुई।
हनुमानगढ़ टाउन एवं जंक्शन के प्रमुख चौराहों का सौंदर्यीकरण हो या फिर स्ट्रीट लाइट की जगमग, यह काम प्रत्यक्ष दिखाई देता है। सबसे बड़ी सौगात सेंट्रल पार्क की रही। यह ऐसा पार्क है, जिसके जैसा संभाग में भी कोई पार्क नहीं है। चुनावी मैदान में गणेशराज ने विकास कार्यों के साथ वंशवाद और जातिवाद को भी मुद्दा भी बनाया। यह दोनों ही मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित करने में कारगर रहे। लंबे समय से बारी-बारी से दो परिवारों को मौका दे रहे हनुमानगढ़ के मतदाताओं ने तीसरा विकल्प पाकर बदलाव करने से गुरेज नहीं किया। बंसल का चुनावी नारा ‘मेरी आवाज, गणेशराज’ भी काफी चर्चित हुआ। 67 साल के गणेशराज ज्यादा शिक्षित नहीं हैं, लेकिन विकास के बूते उन्होंने शिक्षितों को भी पछाड़ दिया।
बीते 33 साल से दो ही नेता जीतते आ रहे
1990 विनोद कुमार कांग्रेस
1993 डॉ.रामप्रताप भाजपा
1998 डॉ. रामप्रताप भाजपा
2003 विनोद कुमार कांग्रेस
2008 विनोद कुमार कांग्रेस
2013 डॉ. रामप्रताप भाजपा
2018 विनोद कुमार कांग्रेस
2023 गणेशराज बंसल निर्दलीय
66 साल बाद निर्दलीय, 56 साल बाद शहरी
हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र से 1957 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर शोपत सिंह मक्कासर विजयी हुए थे। इसके अलावा यहां हमेशा राजनीतिक दल का प्रत्याशी ही विजयी हुआ। इसी तरह बृज प्रकाश गोयल ने वर्ष 1967 में नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस से चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुए। अब गणेशराज ने नगर परिषद सभापति रहते हुए विधायक का चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुए। गोयल और बंसल में एक और समानता रही, दोनों ही शहरी क्षेत्र के निवासी हैं। बाकी विधायकों की पृष्ठभूमि ग्रामीण क्षेत्र की थी।
बंसल का राजनीतिक कॅरियर
गणेशराज बंसल की पत्नी संतोष बंसल 1999 से 2004 के कार्यकाल में 2 वर्ष के लिए सभापति रही थी। 2004 में गणेशराज पार्षद का चुनाव हार गए थे। इसके बाद वे 2014 से 2019 तक कांग्रेस के सिंबल पर पार्षद रहे। मौजूदा नगर परिषद बोर्ड में 2019 में गणेशराज और उनकी पत्नी कांग्रेस सिंबल पर पार्षद चुनी गई। इसके बाद गणेशराज सभापति बने। वे कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। इसके लिए आवदेन भी किया था। टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा।
Published on:
10 Dec 2023 12:38 pm
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