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टायरों की कमी से जूझ रहा है रोडवेज, घिसे टायरों पर दौड़ रहीं लम्बी दूरी की बसें

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bus stand

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-प्रभावित हो सकती हैं कई बस सेवाएं

श्रीगंगानगर.

राजस्थान रोडवेज का श्रीगंगानगर आगार इन दिनों टायरों की कमी से जूझ रहा है। अगर समय रहते बसों के लिए नए टायरों की व्यवस्था नहीं हुई तो लम्बी दूरी की कई बस सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। इनमें दिल्ली, अमृतसर, भिवानी, हरिद्वार और जयपुर सेवाएं शामिल हैं। राजस्थान रोडवेज के स्थानीय आगार में लगभग 125 बसें हैं। इनमें 40 बसें अनुबंधित हैं। ये बसें रोजाना लगभग 45 हजार किलोमीटर की दूरी तय करती हैं।

लोकल चलने वाली रोडवेज बसों में ज्यादातर रिब टायर लगे हैं। ये टायर करीब 50 हजार किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद पूरी तरह से घिस जाते हैं। रबड़ चढ़ाने के लिए इन्हें जयपुर भेजा जाता है। पुराने टायरों पर कम से कम तीन बार रबड़ चढ़ाया जाता है। इस पर खर्चें को देखते हुए अब रोडवेज प्रशासन रेडियल टायर का प्रयोग करने लगा है। ये कम से कम डेढ़ लाख किलोमीटर की दूरी तय करने तक अच्छी कंडीशन में रहते हैं। रोडवेज बसों में लगे टायर अब तक डेढ़ लाख किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं। अगर समय रहते लम्बी दूरी की बसों से टायरों को न बदला गया तो यात्रियों को परेशानी होना तय है।

बसों में स्टैपनी भी नहीं

हकीकत यह भी है कि टायरों की कमी के चलते रोडवेज की कई बसें बिना स्टैपनी के चल रही हैं। डिपो को हर माह कम से कम 40 टायरों की जरूरत पड़ती है। रोडवेज मुख्यालय भी जरूरत के हिसाब से टायर उपलब्ध करवा रहा है, लेकिन ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल के दौरान टायरों की आपूर्ति नहीं हुई, इससे संकट और बढ़ गया। यहां ये भी उल्लेखनीय है कि राजस्थान रोडवेज प्रशासन की माली हालत पहले ही खराब है और टायरों की कमी ने कोढ़ में खाज का काम किया है।


इनका कहना है

मुख्यालय को लिखा है पत्र
'रोडवेज मुख्यालय को टायरों की कमी के बारे में दोबारा पत्र लिखा गया है। उम्मीद है जल्द ही टायरों की आपूर्ति हो जाएगी।Ó

- अजय मीणा, कार्यवाहक मुख्य प्रबंधक, राजस्थान रोडवेज, श्रीगंगानगर