11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चिमनी की रोशनी में पढ़ाई कर जेईएन बनी, अब भाई-बहन को पढ़ाई करवाने में जुटी

रावला क्षेत्र के चक दो केएलम की ढाणी में रहने वाली सरोज पंवार ने चिमनी की रोशनी में पढ़ाई की और अब आरयूआईडीपी में जेईएन हैं।

2 min read
Google source verification
JEN Saroj Panwar

JEN Saroj Panwar

श्रीगंगानगर.

रावला क्षेत्र के चक दो केएलम की ढाणी में रहने वाली सरोज पंवार ने चिमनी की रोशनी में पढ़ाई की और अब आरयूआईडीपी में जेईएन हैं। कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए कुछ अलग करने के जज्बे ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया। अब वह अपने छोटे भाई-बहनों को बैंकिंग की कोचिंग दिलवा रही है। सरोज की आगे बढऩे की चाहत अभी पूरी नहीं हुई। अभी वह एएमआईई की तैयारी में जुटी हुई है। यह डिग्री मिलने पर उसे एईएन और आरएएस की परीक्षा में शामिल होकर उच्च अधिकारी बनने का मौका मिलेगा। पढऩे के लिए सरोज को गांव से कभी पैदल तो कभी बस से रावला आना पड़ता। यह बड़ा मुश्किल था, लेकिन इसके अलावा कोई और विकल्प भी नहीं था।


रावला के आदर्श विद्या निकेतन स्कूल में पढ़ाई कर कक्षा 12 वीं बोर्ड परीक्षा में वह घड़साना उपखंड में प्रथम स्थान पर रही। इसके बाद फिर बीकानेर के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक कर जेईएन बन गई। सरोज बताती है कि किसान की बेटी होने और भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण खेती-बाड़ी में भी पिता का हाथ बंटाती थी। पढ़ाई करवाने में माता-पिता व दादा जगराम पंवार का विशेष योगदान रहा। हालांकि परिवार की आर्थिक स्थित ज्यादा अच्छी नहीं थी लेकिन जुनून था कि बावरी समाज की बेटियां भी पढ़ाई कर कुछ अलग कर सकती है। यह ठान कर पढ़ाई की तो मंजिल मिल गई। अब छोटी बहन पुप्पा व प्रियंका और छोटे भाई पवन व अजय कुमार को आगे बढ़ा रही हूं।


यह भी है तमन्ना
सरोज कहती है कि लाईब्रेरी में गरीब बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें मिले, और वो बच्चे शिक्षित होकर माता-पिता व समाज का नाम रोशन करें, व्यवसायिक शिक्षा के लिए ऐसा केंद्र खोलना,जिसमें लड़कियां व महिलाओं की सिलाई-कढ़ाई, बुटिक व होम साइंस संबंधित शिक्षा दिलवाकर उन्हें आत्म निर्भर बनाया जाए। गल्र्स हॉस्टल जिसमें लड़कियां सुरक्षित पढ़ाई कर सकें।

कपड़े-सिलाई कर की पढ़ाई
पिता हंसराज पंवार खेती-बाड़ी करते हैं। मां विद्या देवी गृहणी है। खेती-बाड़ी से घर-परिवार का खर्चा मुश्किल से निकलता है। ऐसे में आस-पड़ोस की ढाणियों की महिलाओं के कपड़े सिलाई कर पढ़ाई का खर्चा निकाला।

ये हैं उपलब्धियां
कक्षा 10 वीं में 78 प्रतिशत अंक प्राप्त कर गार्गी पुरस्कार प्राप्त।
कक्षा 12 वीं में 83 प्रतिशत अंक प्राप्त कर घड़साना उपखंड टॉप।
28 जुलाई 2015 को कनिष्ठ अभियंता में चयन, जयपुर आरयूआईडीपी में ज्वाइन किया।
मार्च 2017 में कनिष्ठ अभियंता के पद श्रीगंगानगर हुआ तबादला, अब आरयूआईडीपी में।