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जिले में हाइवे किनारे 69 शराब ठेकों के बंद होने की तलवार

- हाईकोर्ट के निर्देश के बाद लाइसेंसी दुकानों की सूची जारी

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श्रीगंगानगर। नेशनल और स्टेट हाईवे के किनारे संचालित शराब ठेकों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट के हालिया आदेश के बाद आबकारी विभाग ने सख्ती दिखाते हुए ऐसे ठेकों की सूची जारी कर दी है। कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि हाइवे पर चल रहे सभी शराब ठेकों को हटाया जाए, जिसके बाद पूरे जिले में हलचल मच गई है। जिले में हाईवे से सटे 69 से अधिक लाइसेंसी शराब ठेके पहचान में आए हैं, जिन पर अब बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। कई संचालक आबकारी विभाग की ओर से जारी होने वाले नोटिस का इंतजार कर रहे है ताकि वे इस नोटिस को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ले सके। जिले के श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, पदमपुर, सूरतगढ़, विजयनगर, रायसिंहनगर, लालगढ़ जाटान सहित कई कस्बों और मंडियों के ठेके इस सूची में शामिल बताए जा रहे हैं। चिन्हित ठेकेदारों के सामने अब दो ही विकल्प बचे हैं, ठेका शिफ्ट करना या पूरी तरह बंद करना। इस बीच, अधिकांश ठेकेदार असमंजस की स्थिति में हैं और आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं।

इन इलाकों से शिफ़ट हो जाएगी दुकानें

शराब कारोबारियों के अनुसार हनुमानगढ़ रोड पर चार दुकानें, रीको में दो, लालगढ़ जाटान में एक, साधुवाली में एक, कुंडलावाला में एक, पदमपुर रोड की नौ, बस स्टैंड क्षेत्र में दो, उधमसिंह चौक एरिया में दो, साहूवाला और अम्बिका सिटी एरिया में एक-एक दुकान बंद हो जाएगी।

हम तो आज ही चाबी देने को तैयार

ठेकेदारों की यूनियन के अध्यक्ष संदीप चांडक ने बताया कि स्टेट और नेशनल हाइवे किनारे संचालित लाइसेंसी दुकानदाराें को दुकानें शिफ़ट करने में परेशानी आएगी। मोहल्लों में शराब दुकानें संचालित करने से लोगों की नाराजगी रहेगी। हाइवे किनारे बार और होटलों में शराब बिकेगी या नहीं, इस संबंध में अब तक आबकारी विभाग ने अपनी​​िस्थति स्पष्ट नहीं की है। पहले से लाइसेंसी दुकानदार मंदे की मार से जूझ रहे है। हम तो आबकारी विभाग को आज ही चाबी देने को तैयार है।

यह दिया था हाइकोर्ट ने आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले माह एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार को नेशनल और स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे में आने वाली 1102 शराब की दुकानों को दो महीने के भीतर हटाने या शिफ्ट करने का आदेश दिया है, ताकि हाईवे को 'शराब-फ्रेंडली कॉरिडोर' बनने से रोका जा सके और सड़क सुरक्षा बढ़ाई जा सके। भले ही ये दुकानें शहरी नगरपालिका सीमा में हों। यह आदेश बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और 'ड्रिंक एंड ड्राइव' के मामलों पर चिंता जताते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आया है, इसमें हाईकोर्ट ने सरकार की राजस्व संबंधी दलीलों को खारिज कर दिया है।

सरकार को मिलता है मोटा राजस्व

प्रदेश में कुल 7665 शराब की दुकानों में से 1102 दुकानें नेशनल और स्टेट हाई-वे पर है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने नगरपालिका क्षेत्र' की आड़ में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का मजाक बना दिया है। राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए स्वीकार किया था कि इन 1102 दुकानों से राज्य को सालाना करीब 2221.78 करोड़ रुपये का भारी-भरकम राजस्व मिलता है।