जानकारी अनुसार रविवार सुबह सूरतगढ़ से चलकर श्रीगंगानगर जाने वाली ट्रेन अपने निर्धारित समय 9 बजकर 40 मिनट से करीब आधा घंटा देरी से यहां पहुंची। रुकने के तय समय दो मिनट की बजाय 12 मिनट खड़ी रहने के बावजूद करीब ढाई-तीन सौ यात्री ट्रेन में नहीं चढ़ सके। यात्रियों के मुताबिक ट्रेन में हर डिब्बा पहले ही खचाखच भरा था और परीक्षार्थी युवक दरवाजों पर लटके हुए थे। इससे यात्रियों खासकर महिलाओं व बुजुर्गेां को ट्रेन छोडऩे पर मंजूर करना पड़ा। इसके बाद यात्रियों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने स्टेशन मास्टर हंसराज खिरोड़ के समक्ष रोष जताया और टिकट वापस कर रिफंड करने की मांग रखी। एसएम खिरोड़ ने कई यात्रियों को इसी टिकट पर दोपहर वाली गाड़ी से जाने की बात कहते हुए नियमानुसार रिफंड नहीं होने की बात कही।
डीआरएम को होगी शिकायत…
उधर, रेल संघर्ष समिति के संयोजक बलदेव सैन ने घटनाक्रम पर रोष जताते हुए इसे रेल प्रशासन पर कई आरोप लगाए। सैन ने कहा कि करीब छह साल पहले ब्रॉडगेज शुरू होने पर पैसेंजर गाडिय़ों में 12 डिब्बे थे। अब यात्रीभार बढऩे के बावजूद डिब्बों की संख्या घटकर छह या सात रह गई है। उन्होंने कहा कि रेल अधिकारियों की मनमानी के चलते यात्री हर रोज ही भेड़ बकरियों की तरह यात्रा करने को मजबूर हैं। सैन ने कहा कि परीक्षा के मद्देनजर गाड़ी में अतिरिक्त डिब्बे आने चाहिए थे। रेल अधिकारियों की अदूरदर्शिता का खमियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ा। यह सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने ताजा मामले की शिकायत डीआरएम व अन्य उच्चाधिकारियों को भेजने की बात कही।
‘भीड़ के मद्देनजर गाड़ी कुछ अतिरिक्त समय के लिए रुकी। तीस रुपए प्रति टिकट से कम मूल्य की टिकट का रिफंड नहीं दिया जा सकता। गाड़ी से वंचित रहे अधिकांश यात्री श्रीगंगानगर जाने वाले थे और वहां का किराया महज 15 रुपए है।’
हंसराज खिरोड़, स्टेशन मास्टर श्रीकरणपुर।