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Video: निराश्रित पशुओं को लेकर किसानों व गौशाला प्रबंधन में तनातनी

- ग्रामीणों, राहगीरों के लिए परेशानी का सबब निराश्रित पशुओं - गौशाला भिजवाने का मामला - शुक्रवार को उपखण्ड प्रशासन के लिए सिरदर्द बना रहा।

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farmer angry on gaushala management

farmer angry on gaushala management

जैतसर. निराश्रित पशुओं से परेशान क्षेत्र के किसान बुधवार को ४०-५० निराश्रित गौवंश को करीब आठ-दस ट्रेक्टर-ट्रालियों में डालकर दस सरकारी से उपखण्ड मुख्यालय के लिए रवाना हो गये। गौशाला प्रबंधन की ओर से बड़ी संख्या में निराश्रित पशुओं को लेने से मना करने के बाद उपखण्ड प्रशासन ने इन किसानों को निराश्रित पशुओं के साथ स्थानीय श्रीकृष्ण गौशाला में भिजवा दिया।

जिसके बाद बड़ी संख्या में किसान ४०-५० पशुओं को लेकर स्थानीय श्रीकृष्ण गौशाला पहुंच गये एवं निराश्रित पशुओं को गौशाला के आगे खड़ा कर दिया। लेकिन गौैशाला प्रबंधन की ओर से यहां भी निराश्रित पशुओं को रखने से मना करने के बाद किसान आक्रोशित हो गये एवं उपखण्ड प्रशासन के खिलाफ रोष जताया।

किसानों का आरोप था कि उपखण्ड प्रशासन की ओर से किसानों को टरकाया जा रहा है जबकि उपखण्ड प्रशासन को निराश्रित पशुओं के लिए आवासीय व्यवस्था करनी चाहिए। दोपहर करीब चार बजे पशुओं को लेकर पहुंचे किसानों ने श्रीकृष्ण गौशाला के आगे पशुओं सहित अपने वाहनों को खड़ा कर जाम लगा दिया।

जो कि रात करीब आठ बजे तक लगा रहा। किसानों की ओर से पशुओं से भरे वाहनों को कतारबद्ध करने की जानकारी मिलने के बाद श्रीविजयनगर तहसीलदार अमर सिंह, उपतहसीलदार श्यामलाल धवन, थानाधिकारी विजय सिंह, जाट महासभा अध्यक्ष रणवीर सिंह बेनीवाल, समाजसेवी राजाराम गर्ग, व्यापार मंडल अध्यक्ष वेदप्रकाश सेतिया एवं गौशाला प्रबंधन किसानों से वार्ता करने के लिए पहुंचे।

करीब दो घंटे से भी अधिक समय तक उपतहसील कार्यालय में चली वार्ता बेनतीजा रही। जिसके बाद किसान निराश्रित पशुओं को लेकर श्रीकृष्ण गौशाला चले गये। लेकिन करीब चार घंटे तक इंतजार एवं बातचीत करने के बाद भी जब गौशाला प्रबंधक नहीं माने तो निराश होकर किसान पशुओं को लेकर वापिस लौैट गये।

पहले सहमति दी, फिर विरोध से आक्रोशित हुए किसान

तहसीलदार अमर सिंह ने बताया कि निराश्रित पशुओं को जब किसान श्रीविजयनगर उपखण्ड मुख्यालय पर ले गये तो उपखण्ड अधिकारी रामरख मीणा के समझाइश करने पर स्थानीय श्रीकृष्ण गौशाला प्रबंधन से जुड़े सदस्यों ने निराश्रित पशुओं को स्थानीय गौशाला में भिजवाने पर सहमति प्रदान कर दी।

लेकिन करीब दो घंटे बाद जब किसान निराश्रित पशुओं को लेकर श्रीकृष्ण गौशाला पहुंचे तो गौशाला प्रबंधन ने स्थान एवं उपलब्ध संसाधनों की कमी का उल्लेख करते हुए किसानों की ओर से यहां लाये गये निराश्रित पशुओं को रखने से मना कर दिया। जिसके बाद किसान आक्रोशित हो गये एवं प्रशासन के खिलाफ रोष प्रकट करने लगे।