श्रीगंगानगर। उत्तर भारत में हर धार्मिक सत्संग में भगवान श्रीकृष्ण और आर्थिक तंगी से जूझ रहे भक्त नरसी की नानी बाई को मायरो कथा की स्तुति की जाती हैं। इस कथा सुनाने की मंशा भगवान श्रीकृष्ण का अटूट प्रेम और जरुरतमंद परिवार में भात करने के लिए मददगार के प्रति भावना विकसित करना हैं, इस कथा में अपने भक्त नरसजी की मदद करने के लिए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को धरती पर मायरा भरने के लिए आना पड़ा था। ऐसा ही नजारा हनुमानगढ़ जिले के गांव नेठराना के ग्रामीणों ने अनुकरणीय उदाहरण समाज में पेश किया। इस गांव की नरसी जी की कथा चरितार्थ हो गई। इस नेठराना गांव की बेटी मीरां के माता पिता और इकलौते भाई की मौत के बाद पीहर सूना हो गया।
जब मीरां की बेटियां की शादी का समय आया तो उसे अपने पीहर की याद आई। जिस पुरानी कुटिया में उसका भाई अपने जीवन काल में रहता था, उस कुटिया की दीवार पर मीरां ने अपने हाथों से तिलक किया और गांव से भात के दौरान साक्षी बनने की छोटी सी मनोकामना की। आखिर यह मनोकामना उसी उस समय पूरी हुई जब नेठराना ग्रामीणों ने अपने गांव की बेटी मीरां के ससुराल पहुंचकर मीरां की पुत्री के विवाह में भात भरा। यह एक दो हजार नहीं बल्कि पूरे दस लाख रुपए का भात भरा गया। इसे देखने के लिए वहां भीड़ एकत्र हो गई। दिल की छू देने वाली इस पहल को जिसने भी देखा वह अपने आप को रोक नहीं पाया। इस गांव की बेटी मीरां का ससुराल हरियाणा के गांव जांडवाला बागड़ है। मीरा के पति का निधन हो गया है। मीरां के सिर्फ दो बेटियां हैं जबकि पीहर सूना हैं। उसके माता-पिता व भाई नहीं है। मीरां के पिता जोराराम बेनीवाल का काफी साल पहले निधन हो गया था, मीरा का अविवाहित भाई संतलाल भी गांव की पंजाबी बाबा की कुटिया में रहने लगा। इस सगे भाई का भी कुटिया में सेवा करने के दौरान देहांत हो गया।
गांव की बेटी मीरां की पुत्री की शादी तय हुई तो भात का न्यौता की रस्म अदायगी के लिए अपने भाई को याद किया। उसने अपने पीहर गांव में उस पुरानी कुटिया पर गई जहां उसका भाई खानाबदोश की हालत में रहता था। बाबा की कुटिया पहुंचकर वहां संत महाराज की समाधि पर तिलक करके इस आस में वापस ससुराल चली गई कि यदि भगवान है तो उसका भात भरने कोई तो आएगा।
यह पुकार ग्रामीणों को उनके मन को ऐसी छू गई कि सब मीरां बाई का भात भरने को राजी हो गए। एकाएक आई जागृति को देखकर गांव की महिलाएं भी पीछे नहीं रही और अपने गांव की बेटी के भात करने के लिए आभूषण खरीदकर एकत्र कर लिए। सामूहिक रूप से ग्रामीण गांव जांडवाला बागड़ पहुंचे तो वहां लोग भी समझ नहीं पाए कि यह कैसे चमत्कार हुआ। भारतीय संस्कृति परम्परा के अनुसार लगभग सात लाख रुपए नगद, टिकावनी, बान, कन्यादान, आभूषण सहित लगभग 10 लाख रुपए का ***** मीरां का भात भरा। मीरां ने जब पूरे गांव के मौजिज लोगों को देखा तो खुद को अपने आंखों से आंसूओं को रोक नही पाई। मीरां के ससुराल वाले भी दंग रह गए जिसके पीहर में कोई सदस्य नहीं है फिर भी इतना बड़ा भात भरा जा रहा हैं। जांडवााला बागड़ गांव के मौजिज लोगों ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए भात भरने आए नेठरानावासियों का उदारता की खूब सराहना की।