अगर एक पुरुष ने औरत को Talaq दे दिया है तो वो उसी औरत से दोबारा तब तक शादी नहीं कर सकता जब तक वह औरत किसी दूसरे पुरुष से शादी कर तलाक न ले ले
Lucknow News . इस्लाम में Halala का मतलब होता है कि एक तलाकशुदा औरत अपनी मर्जी से किसी दूसरे मर्द से शादी करे और इत्तेफाक से अगर उनका भी रिश्ता निभ न पाया हो और वो दूसरा शौहर भी उसे तलाक दे-दे या मर जाए तब ऐसी स्थिति में ही वह औरत पहले पति से दोबारा निकाह कर सकती है। ये असल इस्लामिक हलाला है। शरिया के मुताबिक अगर एक पुरुष ने औरत को तलाक दे दिया है तो वो उसी औरत से दोबारा तब तक शादी नहीं कर सकता जब तक वह औरत किसी दूसरे पुरुष से शादी कर तलाक न ले ले। लेकिन यह जानना जरूरी है कि यह इत्तिफ़ाक से हो तो जायज़ है, लेकिन जान-बूझकर या योजना बनाकर किसी और मर्द से शादी करना और फिर उससे सिर्फ इसलिए तलाक लेना ताकि पहले शौहर से निकाह जायज़ हो सके यह साजिश नाजायज़ है और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने ऐसी साजिश करना गलत बताया है।
हलाला का नया रूप है 'Hulla' (Hulla Kya Hai)
ऐसा बहुत कम बार होता है जब पहला पति फिर से अपनी बीवी से शादी करना चाहे ये किसी बड़े इत्तेफाक के चलते होता है। पर अक्सर होता ये है कि तीन तलाक की आसानी के चलते अक्सर बिना सोचे-समझे मर्द तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोल देते हैं। बाद में जब उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है तो वे अपना संबंध फिर से उसी औरत से जोडऩा चाहते हैं। ऐसे में ये परिस्थिति अक्सर देखने को मिल जाती है पर फिर से संबंध जोडऩे से पहले निकाह हलाला जरूरी होता है। लेकिन इस्लाम के हिसाब से जानबूझ कर या योजना बना कर किसी और मर्द से शादी करना और फिर उससे सिर्फ इस लिए तलाक लेना ताकि पहले शौहर से निकाह जायज हो सके यह साजिश नाजायज है। पर इसका इंतजाम भी है क्योंकि इसका एक पहलू ये भी है कि अगर मौलवी हलाला मान ले तो समझे हलाला हो गया। इसलिए मौलवी को मिलाकर किसी ऐसे इंसान को तय कर लिया जाता है जो निकाह के साथ ही औरत को तलाक दे देगा। इस प्रक्रिया को ही हुल्ला कहते हैं। यानी हलाला होने की पूरी प्रक्रिया 'हुल्ला' कहलाती है।
क्या है खुला (Khula ka Kya Matlab Hai)
अगर सिर्फ बीवी तलाक चाहे तो उसे शौहर से तलाक मांगना होगा। जाहिर है अगर शौहर तलाक नहीं चाहता होगा तो वो अपनी बीवी को समझाने की कोशिश करेगा और अगर वह फिर भी न माने तब उसका पति उसे एक तलाक दे देगा। लेकिन अगर पत्नी के तलाक मांगने के बावजूद उसका पति उसे तलाक नहीं देता तो बीवी के लिए इस्लाम में यह आसानी रखी गई है कि वो शहर काज़ी (जज) के पास जाए और उससे शौहर से तलाक दिलवाने के लिए कहे। इस्लाम ने काज़ी को यह हक़ दे रखा है कि वो उनका रिश्ता ख़त्म करने का ऐलान कर दे, जिससे उनकी तलाक हो जाएगी, कानून में इसे खुला कहा जाता है।