scriptGround Report: बीजेपी को ‘भ्रष्टाचार पर वार’ का सहारा, महागठबंधन खेल रहा विक्टिम कार्ड, ED की कार्रवाई से सियासी पारा गर्म | Ground Report: BJP resorts to attack on corruption, Mahagathbandhan plays victim card, political temperature rises due to ED action | Patrika News
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Ground Report: बीजेपी को ‘भ्रष्टाचार पर वार’ का सहारा, महागठबंधन खेल रहा विक्टिम कार्ड, ED की कार्रवाई से सियासी पारा गर्म

Ground Report: शिबू सोरेन के सरकारी आवास के बाहर सन्नाटा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की कमान उनके बेटे हेमंत सोरेन के हाथ है, जो वर्तमान में जेल में हैं। रांची (झारखंड) से राजेंद्र गहरवार की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीMay 25, 2024 / 10:21 am

Shaitan Prajapat

Ground Report: रांची का वीआइपी क्षेत्र मोरबाड़ी काफी व्यस्त इलाका है। यहां गुरुजी के नाम से विख्यात शिबू सोरेन के सरकारी आवास के बाहर सन्नाटा है। सक्रिय नहीं होने से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की कमान उनके बेटे हेमंत सोरेन के हाथ है, जो वर्तमान में जेल में हैं और उनके आवास के बाहर भी सनाका खिंचा हुआ है। इन दोनों दृश्यों का कैसा और कितना असर होगा, यह तो परिणाम आने के बाद पता चलेगा लेकिन रांची में चुनाव से अधिक चर्चा ईडी की कार्रवाईयों की है। हेमंत जनवरी महीने से जेल में हैं तो मतदान से पहले राज्य के मंत्री रहे कांग्रेस नेता आलमगीर की गिरफ्तारी से राजनीति और अधिक गर्मा गई है।
झारखंड में ईडी की कार्रवाई भी बड़ा चुनावी मुद्दा है, जिसे सभी दल अपने हिसाब से भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। अप्रेल महीने में महागठबंधन की महाजुटान रैली हुई थी, तब जेल में रहे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की कुर्सी मंच पर खाली रखी गई थी। सहानुभूति जुटाने के लिए दोनों की पत्नियों ने मंच साझा किया था। रांची लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा ने जहां सांसद संजय सेठ पर दूसरी बार भरोसा जताया है, वहीं कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्वनी को मैदान में उतारा है। शेखर बर्मन कहते हैं इस चुनाव में सुबोधकांत का वह जलवा नजर नहीं आ रहा है, जैसा वे खुद चुनाव लड़ते थे तो रहता था। वहीं भाजपा एंटीइंकम्बैंसी और अंतरविरोधों के बाद भी ज्यादा आक्रामक तरीके से मैदान में तेज चाल चल रही है।

निर्दलीय ने बिगाड़ा समीकरण

रांची लोकसभा सीट का समीकरण निर्दलीय प्रत्याशी देवेंद्र महतो ने बिगाड़ दिया है। वे जेल गए तो समर्थन में छात्रों ने लम्बा आंदोलन चलाया था। यही रणनीति पार्टियों को बेचैन कर रही है। वहीं लोग स्थानीय मुद्दों को लेकर नाराज हैं। सुभाष शेखर कहते हैं कि रांची को राजधानी का दर्जा मिलने के बाद इतनी तेजी से अनियमित विकास हुआ कि कई बड़े इलाके तंग इलाके में तब्दील हो गए। कांके, टैगोर हिल सहित कई इलाकों में सडक़ें चौड़ी होनी चाहिए और फ्लाइओवर बनने चाहिए।

जीवन भर लड़े, अब साथ

रांची लोकसभा सीट सुबोधकांत सहाय और रामटहल चौधरी के मुकाबले के लिए चर्चित रही है। दोनों जीवन भर जमकर चुनाव लड़े और एक दूसरे को परास्त करते रहे। रामटहल रांची से पांच बार भाजपा से सांसद रहे और सहाय तीन बार लोकसभा पहुंचे और केंद्र में मंत्री बने। पर अब दोनों एक ही नाव में सवार हैं। इसी साल इस उम्मीद के साथ रामटहल ने कांग्रेस का दामन थामा कि टिकट मिलेगा, लेकिन पार्टी ने सहाय की बेटी के नाम पर मुहर लगा दी।

जमशेदपुर में किसी के नाम नहीं जीत की हैट्रिक

स्वर्णरेखा नदी के तट पर बसी इस्पात नगरी जमशेदपुर में कील से लेकर भारी ट्रकों का निर्माण होता है। जहां तैयार लाखों वाहन देश के सडक़ों पर दौड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के चलते लोहे की भट्टियों की तरह जमशेदपुर टाटानगर की राजनीति भी गर्म है। भाजपा ने दो बार के सांसद विद्युत बरन महतो पर फिर भरोसा जताया है, जो जीत की हैट्रिक बनाने के लिए पूरा दम लगा रहे हैं। तो महागठबंधन की ओर से झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) के विधायक समीर कुमार मोहंती चुनाव मैदान में हैं।
जमशेदपुर से अब तक कोई भी प्रत्याशी जीत की हैट्रिक नहीं बना पाया। अब तक हैट्रिक के चार मौके आए पर एक बार भी कोई सफल नहीं हुआ। इस सियासी टोटके ने भाजपा की सांस फुला दी है। अधिवक्ता प्रशांत कुमार कहते हैं कि विकास के काम में तेजी नहीं आने को लेकर लोगों में मलाल तो है पर सांसद विद्युत बरन को दलगत और जाति की राजनीति से ऊपर उठकर कार्य की शैली उन्हें दूसरों से अलग करती है। जबकि अनिल वर्मा कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और राष्ट्रीय मुद्दों पर 2019 की ही तरह इस बार का चुनाव है। उधर, भाजपा के पूर्व विधायक कुणाल सारंगी का विद्रोही रुख भाजपा के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। स्वर्णरेखा नदी की बदहाली और एयरपोर्ट नहीं मिलने से लोग खफा हैं, जो केंद्र और राज्य के झगड़े के साथ हाथी कॉरिडोर में फंसा हुआ है

आदिवासी वोट निर्णायक

जमशेदपुर लोकसभा सीट में कुर्मी-महतो और ओडिय़ा समाज के वोटरों की संख्या लगभग बराबर है। इसलिए निर्णायक यहां की 27 प्रतिशत आदिवासी आबादी है। जिसे साधने के लिए महागठबंधन पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाते हुए भाजपा पर परेशान करने का आरोप लगा रहा है।

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