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नैनवां उपखण्ड के नौ बांधों पर कर्मचारी संकट, 27 पद खाली

नैनवां उपखंड में 9 बांधों पर एक भी कर्मचारी नहीं है, जिससे नहरों का संचालन भगवान भरोसे चल रहा है। 127 किमी लंबे नहरी तंत्र की देखरेख के लिए कोई नहीं है, क्योंकि 6 साल में सभी कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए और विभाग ने बेलदार पद समाप्त कर दिया।

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बूंदी

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Patrika Desk

Nov 10, 2024

नैनवां उपखंड में जल संसाधन विभाग की लापरवाही सामने आई है। यहां स्थित नौ बांधों पर एक भी कर्मचारी नहीं है! विभाग ने बांधों से नहरों में पानी तो छोड़ दिया, लेकिन अब नहरें भगवान भरोसे चल रही हैं।

127 किलोमीटर लंबा नहरी तंत्र, कोई देखरेख करने वाला नहीं

नैनवां उपखंड में सिंचाई के लिए नौ बांधों का नहरी तंत्र 127 किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें पाईबालापुरा, दुगारी, गोठड़ा, रुनिजा, मोतीपुरा, माछली, बटावदी, बंसोली और इंद्राणी के बांध शामिल हैं। इन सभी बांधों से निकलने वाली नहरों और माइनरों की देखरेख के लिए एक भी कर्मचारी नहीं है।

6 साल में सभी कर्मचारी सेवानिवृत्त, कोई नया नियुक्ति नहीं

2018 तक नैनवां उपखंड में 27 कर्मचारी (बेलदार) बांधों और नहरों की निगरानी के लिए नियुक्त थे। लेकिन 6 साल में सभी कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए और विभाग ने बेलदार के पद को ही समाप्त कर दिया। अब कार्यालय में एक भी कर्मचारी नहीं बचा है। नहरों और बांधों की निगरानी के लिए संविदा पर भी कोई कर्मचारी नहीं रखा गया है, क्योंकि विभाग के पास बजट नहीं है।

एक जेईएन पर नौ बांधों की जिम्मेदारी

नैनवां उपखंड कार्यालय में भी स्टाफ की कमी है। कनिष्ठ अभियंता के दो पदों में से एक रिक्त है। कार्यालय सहायक और सहायक कर्मचारियों के पद भी खाली हैं। एक ही कनिष्ठ अभियंता को नौ बांधों की देखरेख और नहरी तंत्र की निगरानी करनी पड़ रही है।

जल उपयोगिता संगम भी नहीं संभाल पा रहे

नहरी तंत्र की देखरेख के लिए सभी बांधों के सिंचित क्षेत्र के किसानों की जल उपयोगिता संगम के अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। विभाग अध्यक्षों से कह रहा है कि वह व्यवस्था संभाले, लेकिन जल उपभोक्ता संगम भी व्यवस्था नहीं संभाल पा रहे हैं।

जल संसाधन विभाग नैनवां के सहायक अभियंता प्रकाश चंद मीणा का कहना है कि एक बांध और नहरी तंत्र की देखरेख के लिए कम से कम तीन कर्मचारी होने चाहिए। नौ बांधों के लिए 27 कर्मचारी चाहिए, लेकिन एक भी कर्मचारी नहीं होने से बांधों और नहरी तंत्र की व्यवस्था भगवान भरोसे बनी हुई है। विभाग के पास बजट नहीं है, जिसके कारण नई नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं।