scriptजब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का,फिर देखना फिजूल है कद आसमान का, कुछ ऐसा ही जज्बा है बस्तर की बेटी नैना का | Bastar girl mountaineer ascend asia 2nd highest mountain | Patrika News
सुकमा

जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का,फिर देखना फिजूल है कद आसमान का, कुछ ऐसा ही जज्बा है बस्तर की बेटी नैना का

Bastar girl mountaineer : बस्तर की बेटी के हौसले के आगे उसकी गरीबी घुटने टेकने को मजबूर है। यही वजह है की पैसों की कमी से जूझ रही बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ ने एशिया के दूसरे सबसे ऊंचे पहाड़ को फतह कर लिया है

सुकमाAug 19, 2019 / 04:27 pm

Karunakant Chaubey

Bastar girl mountaineer

जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का,फिर देखना फिजूल है कद आसमान का, कुछ ऐसा ही जज्बा है बस्तर की बेटी नैना का

जगदलपुर. Bastar girl mountaineer : डर मुझे भी लगा फासला देख कर,पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,खुद ब खुद मेरे नजदीक आती गई,मेरी मंजिल मेरा हौंसला देख कर । ये पंक्तियाँ बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ पर सौ फीसदी सटीक बैठती है। नैना का सपना माउंड एवरेस्ट (Mount Everest) फतह करना था लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वे पिछले दो साल से इस मिशन पर नहीं जा पा रही थीं।

खाकी हुई शर्मशार : जिनके हवाले दरख्तों की हिफाजत थी, वही जंगल के सौदागर निकले

माउंट एवरेस्ट के लिए उनका जज्बा कायम था। इस जज्बे की वजह उनके सामने पेश आ रही अड़चनें थीं। इसी जज्बे ने नैना को एशिया के दूसरे सबसे बड़े हिमाचल के बारा शिगरी ग्लेशियर की माउंट कैथेड्रल (Cathedral Mountain) की 6100 मीटर ऊंची चोटी पर पहुंचा दिया। 15 अगस्त को उतरते वक्त 4300 मीटर की ऊंचाई पर तिरंगा फहराया।

CRPF के जवानो ने पेश की मावता की मिसाल

एशिया में सियाचीन ग्लेशियर के बाद शिगरी का नंबर आता है। यहां की चोटी पर चढ़ाई बेहद मुश्किल है, जिसे नैना ने खराब मौसम के बावजूद 25 दिनों में पूरा किया। बस्तर जिले के छोटे से गांव टकरागुड़ा के एक सामान्य परिवार से विमला सिंह की बेटी ने यह कारनामा कर बस्तर समेत पूरे राज्य को गौरान्वित होने का अवसर दिया है।
नैना का प्रयास माउंट एवरेस्ट फतह करने के लिए जारी था और इसी बीच इंडियन माउंटेनरिंग फाउंडेशन ने बारा शिगरी की चढ़ाई के लिए उनका चयन कर लिया। नैना के साथ माउंटेन ट्रैकर्स की पूरी टीम थी। सभी ने चढ़ाई के दौरान कई मौके पर क्लिन हिमालय का संदेश देते हुए वहां फैले कचरे की सफाई की। साथ ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश भी दिया।

दुनिया के सबसे ऊंचे लेह खारदुंगला मोटरेबल पास में फहरा चुकी हैं तिरंगा

2018 में नैना ने माउंट एवरेस्ट के लिए प्रयास किया। पैसों का इंतजाम नहीं हो पाया और वे चूक गईं। इसके बाद भी उनका जज्बा कम नहीं हुआ और नैना ने वो कर दिखाया जो अब तक पूरे छत्तीसगढ़ में किसी ने नहीं किया है। नैना 13 दिन साइकिल चलाकर मनाली से लेह खारदुंगला (khardung la) पहुंच गईं।

सावधान : अब आपके खाते में सेंध लगाने के लिए हैकर्स को ना ATM कार्ड का नंबर चाहिए ना OTP

यह दुनिया का सबसे ऊंचा मोटरेबल पास यानी दर्रा है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 5602 मीटर है। यहां भी नैना ने 15 अगस्त को ही तिरंगा फहराया। इसके अलावा उन्होंने लेह लद्दाखकी सबसे ऊंची चोटी माउंट स्टॉक कांगरी 6153 मीटर और माउंट गोलेप कांगड़ी 5950 मीटर पर तिरंगा लहराया।

आर्थिक मदद मिले तो पूरा हो सकता है माउंट एवरेस्ट फतह का सपना

बस्तर की बेटी पूरे राज्य का नाम रोशन कर रही है लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने कभी कोई प्रयास नहीं हुआ। अब तक नैना ने जितनी भी ट्रैकिंग की है, उसमें किसी ना किसी कंपनी ने ही उन्हें स्पांसर किया है। नैना कहती हैं कि अगर उन्हें पर्याप्त आर्थिक मदद मिल जाए तो माउंट एवरेस्ट फतह करने का उनका सपना पूरा हो सकता है। इसके साथ ही नैना 6 देशों की साइकिल यात्रा भी पूरी करना चाहती हैं। इसके लिए भी उन्हें मदद की दरकार है।

Home / Sukma / जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का,फिर देखना फिजूल है कद आसमान का, कुछ ऐसा ही जज्बा है बस्तर की बेटी नैना का

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो