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दिन भर कैटरिंग का काम कर भरता था परिवार का पेट, रात में पढ़ाई कर पास की पीएटी की परीक्षा

सुकमा जिला लगातार शिक्षा के क्षेत्र में नये आयामों की ओर अग्रसर हो रहा है। आज यहां के छात्र शिक्षाकर्मी व भृत्य से ऊपर उठाकर डॉक्टर, इंजिनियर, कृषि वैज्ञानिक के सपने का साकार करने जा रहा है।

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कैटरिंग का काम कर भरता था परिवार का पेट

दिन भर कैटरिंग का काम कर भरता था परिवार का पेट, रात में पढ़ाई कर पास की पीएटी की परीक्षा

सुकमा. सुकमा जिला लगातार शिक्षा के क्षेत्र में नये आयामों की ओर अग्रसर हो रहा है। आज यहां के छात्र शिक्षाकर्मी व भृत्य से ऊपर उठाकर डॉक्टर, इंजिनियर, कृषि वैज्ञानिक के सपने का साकार कर रहे है। हाल ही में सुकमा जिले से माया कश्यप, हरीश पोडियाम का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ। और इन दोनों की पढ़ाई का खर्च जिला प्रशासन उठाने जा रही है। ऐसा ही एक और छात्र कामेश सागर कृषि वैज्ञानिक बनने के सपना को साकार करते हुए प्री एग्रीकल्चर टेस्ट परीक्षा पास किया। जिसे जशपुर शासकीय कृषि महाविद्यलय में दाखिला मिल चूका हैं।

सारी जरूरी जानकारी शिक्षकों एवं मित्रों से प्राप्त किया
कामेश सुकमा नगर के वार्ड क्रमांक 13 लाइन पारा का निवासी है। उसने बताया कि पेड़ पौधे के प्रति रूची होने कारण गणित व बायो विषयों का चयन नही किया। कृषि वैज्ञानिक बनने के लिए वो सारी जरूरी जानकारी शिक्षकों एवं मित्रों से प्राप्त किया। और कृषि वैज्ञानिक बनने का उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने कड़ी मेहनत की। घर की माली हालत खराब होने कारण कक्षा 12वीं की परीक्षा प्राईवेट दी। दिन भर कैटरिंग में कडी मेहनत करता था। ताकि घर का खर्च निकल सकें। उसके बाद रात को दो घंटे पढ़ाई के लिए वक्त निकाल पाता था।

पुस्तक खरीदने के पैसे व मार्गदर्शन मिला दूसरों से
उसने बताया की पीएटी परीक्षा की तैयारी के लिए ंकृषि अधिकारी सेवनदास खुटे, शिक्षक नागेश दास के मार्गदर्शन में की। परीक्षा के लिए बुक भी दोनों सर ने उपलब्ध कराई। अन्य विषयों की तरह कृषि विज्ञान विषय को लेकर जानकारी नहीं मिल पाती थी। पीएटी एक्जाम होता हैं यही बताया जाता था लेकिन इसके लिए कैसे तैयारी की जाती है यह कोई नहीं बताता है।

उम्मीद कभी नहीं हारनी चाहिए
कामेश ने बताया कि दो दिनों के बाद कॉलेज के लिए जशपुर जाना हैं घर की आर्थिक स्थिति ठीन नहीं होने से पैसे की दिक्कत आ रही है। और इधर बाढ़ में चाचा का भी गिर चूका है। जिसके कारण परिजनों से कोई मदद नहीं मिल रही हैं। किसी तरह से जुगाड़ कर कॉलेज का फीस जमा कर दिया है। लेकिन मेस की फीस भी अभी जमा नहीं किया है। मां से मेस की फीस बात कही तो उन्होंने कहा कि अभी पैसे नहीं है। लेकिन मॉंने अपने सोने की आभूषण गिरवी में रखकर इंतजाम किया है।

बाहरी लोगों की सोच बदलना जरूरत
कामेश ने कहा कि बाहर के लोगों में सुकमा जिले को माओवाद घटना के लिए जाना जाता है लेकिन यहां के छात्र इन सबसे दूर अपनी पढ़ाई के बूते अलग पहचान बना रहे है। एक सकारात्मक माहौल तैयार हो रहा है। इसलिए प्रत्येक छात्रों से कहना चाहता हूं कि पढ़ाई के साथ सुकमा जिले की अलग पहचान दिलाएं ताकि यहां के प्रति बाहर के लोगों की सोच बदले।

सफलता से परिवार के सभी सदस्य खुश
कामेश की मां राधा सागर ने कहा कि बेटे की इस सफलता से पूरा परिवार खुश है। कठिन परिस्थित के बाद बेटे ने अपने सपने को पूरा किया है। लेकिन घर की आर्थिक स्थित ठीक नहीं है इसलिए फीस की दिक्कत आ रही है। लेकिन अभी किसी तहर से कॉलेज की एडमिशन फीस ही जमा किर पाए हैं।। अभी कूछ फीस का इंतजाम नहीं हो पाया है।