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नक्सली कमांडर हिड़मा के इलाके में पहली बार लहराया तिरंगा, गांव के कई घरों में लटका ताला.. इन्हें पहले टारगेट करेंगे जवान

Naxal Terror : नक्सलियो की नर्सरी कहे जाने वाले बीजापुर जिले क़े पूर्वती गांव में सुरक्षा बलों का कैंप खुल जाने क़े बाद से गांव से लोग भाग गए हैँ।

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मोहन ठाकुर

Tiranga Flag in Naxal Hidma Area : नक्सलियो की नर्सरी कहे जाने वाले बीजापुर जिले क़े पूर्वती गांव में सुरक्षा बलों का कैंप खुल जाने क़े बाद से गांव से लोग भाग गए हैँ। अधिकाश घरों में ताले लटके हैँ और यहां सन्नाटा पसरा हुआ हैँ। गांव क़े एक दो घरों में बूढी महिलाओं क़े अलावा यहां सिर्फ जवानों क़े पदचाप ही सुनाई दे रहे हैँ। बस्तर क़े इस लालगढ़ में पहली बार फ़ोर्स नें यहाँ तिरंगा लहराया हैँ। यह गांव बीहड़ों में बसा हैँ जो कि जिला मुख्यालय सुकमा से लगभग 120 किमी दूर हैँ यहा तक पहुंचने क़े लिए सड़क भी नहीं हैँ। पत्रिका ने इस गांव का जायजा लिया तो यहां से जुड़े कई रहस्य उजागर हुए।

पूवर्ती से नक्सल बटालियन को टारगेट करेगी फ़ोर्स

Sukma Naxal Terror : पूवर्ती कैंप क़े लिए फ़ोर्स की जो टीम बनाई गई थी उसे सुकमा एसपी किरण चौहान ने लीड किया था। उनके साथ डीआईजी सीआरपीएफ अरविन्द राय, कोबरा और एस्टीएफ क़े अधिकारी भी साथ थे। बड़ी संख्या में जवानों क़े साथ वे यहां पहुंच कर कैप स्थापित किया। अफसरों ने कैंप में तिंरगा लगाया। फ़ोर्स क़े अफसरों का कहना हैँ कि नक्सल बटालियन की सबसे सुरक्षित पनाहगार का उपयोग अब फ़ोर्स करेंगी। यह हिडमा का प्रभाव क्षेत्र हैँ इसलिए यही से अब नक्सल बटालियन को टारगेट किया जाएगा।

दो कमरों का मकान हैँ हिडमा का

Naxal Terror : बस्तर में दहशत का पर्याय बना नक्सली कमाडर हिडमा का गांव में दो कमरों का कच्चा मकान हैँ हालांकि वह वहां रहता नहीं हैँ कभी कभी गांव लौटता हैँ। पुलिस क़े मुताबिक उसकी माँ यहां रहती हैं। पत्रिका संवाददाता जब वहां पहुंचे तो वहां कोई नहीं मिला। मकान में ताला लगा था। घर क़े बाहर सोलर प्लेट लगी हुई थी जिससे वहां लाइट जलती है। पुलिस अफसरों नें बताया कि हिडमा की माता से अफसरों की भेंट हुई है। उन्होंने आश्वासन भी दिया हैँ कि किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। पुलिस नें ग्रामीणों से भी गांव लौटने की अपील की हैँ।

नक्सलियो का टेक्टिकल हेडक्वार्टर. ..

एसपी सुकमा किरण चौहान की माने तो पूवर्ती नक्सलियों का टेक्टिकल हेडक्वार्टर था जहां से उन्होंने लगभग 27 से अधिक बड़े ऑपरेशन लाॅन्च किए थे और यहां नक्सलियों का बटालियन प्रमुख हिडमा और उनकी सेन्ट्रल कमेटी क़े कई नक्सली यहां मौजूद रहते थे।हिडमा,देवा,सुरेंद्र, शेखर सहित करीब सौ से अधिक नक्सली इसी गांव क़े हैँ, जो बस्तर ही नहीं आसपास क़े राज्यों में भी दहशत का पर्याय बने हुए हैँ।

गांव में खेती भी करते हैँ नक्सली

Sukma Naxal Terror : इस गांव में नक्सली अपने जीविकोपार्जन क़े सभी जरुरी इंतज़ाम कर रखे हैँ। मसलन गांव में सामूहिक खेती की व्यवस्था हैँ जो अन्न पैदा होता हैँ उसका तीस फीसदी हिस्सा उनके संगठन क़े लिए सुरक्षित रखते हैँ। इससे उनके भोजन आदि की व्यवस्था हो जाती थी। गांव में बिजली नहीं हैँ लेकिन नक्सलियो ने खास-खास घरो में सोलर पैनल लगा रखे हैँ ताकि उन्हें बिजली मिल सके। यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। दो नालो को पार कर यहां नक्सलियो ने त्रिस्तरीय सुरक्षा क़े इंतज़ाम कर रखे थे इस कारण लोग आसानी से यहां पहुंच नहीं पाते थे। इस कारण यह नक्सलियों का सुरक्षित पनाहगार बना हुआ था।