आचार्य तिवारी बताते हैं कि सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। इस साल सावन में अद्भुत संयोग बन रहा है। श्रावण माह की शुरुआत सोमवार से हो रही है और इसका अंत भी सोमवार के दिन होगा। सावन में इस बार पांच सोमवार पड़ रहे हैं। पहला सोमवार 6 जुलाई को, दूसरा 13 जुलाई को, तीसरा 20 जुलाई को, चौथा 27 जुलाई को और पांचवां व अंतिम सोमवार 3 जुलाई को पड़ रहा है। इसी दिन सावन माह भी समाप्त होगा।
शिव को पाने के लिए मां पार्वती ने किया था कठोर तप
सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। सावन के महीने में शिवजी की विशेष पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पर भवानी सती का पार्वती के रूप में दोबारा जन्म हुआ था। देवी पार्वती ने भगवान शिव को दोबारा से अपना पति बनाने के लिए सावन के महीने में ही कठोर तपस्या की थी। इसके बाद भगवान शिव प्रसन्न होकर माता पार्वती की मनोकामना को पूरा करते हुए उनसे विवाह किया था। सावन के महीने में ही भगवान भोले शंकर ने देवी पार्वती को पत्नी माना था ,इसलिए भगवान शिव को सावन का महीना बहुत ही प्रिय होता है।
दूसरी मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था तब समुद्र से विष का घड़ा निकला था। लेकिन इस विष के घड़े को न ही देवता और न ही असुर लेने को तैयार हो रहे थे। तब विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए और समस्त लोकों की रक्षा करते हुए भगवान शंकर ने इस विष का पान किया था। विष के प्रभाव से भगवान शिव का ताप बढ़ता जा रहा था तब सभी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शंकर पर जल चढ़ाना शुरू कर दिया था। तभी से सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है। 6 जुलाई 2020 को सावन का पहला सोमवार है। ऐसे में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें ,फिर शिवलिंग पर जल से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्रों चढ़ाएं। अन्य दूसरी पूजा-सामग्री से शिवलिंग का श्रृंगार करें।