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Snakebite : सर्पदंश के मुआवजे का नियम सरल करे सरकार, तभी पीड़ितों को मिल सकेगी सरकारी सहायता

locationसुल्तानपुरPublished: Jul 29, 2021 07:12:12 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

Snakebite Compensation : सुलतानपुर में सर्पदंश से छह महीनों में 70 लोगों की मौत, मुआवजा किसी को भी नहीं मिला

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. Snakebite Compensation in UP- भारत में प्रतिवर्ष सांप काटने से तकरीबन 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इनमें सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं। सांप काटने के मामले वैसे तो साल भर सामने आते रहते हैं, लेकिन बरसात के मौसम में तेजी से इजाफा होता है। उत्तर प्रदेश में सर्पदंश को दैवीय आपदा घोषित किया गया है। इसके तहत सर्पदंश से मौत पर पीड़ित परिवार को चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। लेकिन, लंबी प्रक्रिया के चलते सरकारी सहायता दूर की कौड़ी साबित हो रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सुलतानपुर में बीते छह महीनों में 70 लोगों की सर्पदंश से मौत हो चुकी है, लेकिन सरकारी इमदाद किसी को नहीं मिल सकी। लोगों का कहना है कि सरकार नियमों में बदलाव करे ताकि मुआवजा मिल सके।
एडीएम वित्त एवं राजस्व एवं जिले के दैवीय आपदा प्रबंधन के नोडल अधिकारी उमाकांत त्रिपाठी ने कहा कि सर्पदंश से हुई मौत के मामले में मिलने वाली सहायता राशि के नियमों में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुआवजा राशि मिलने के लिए वर्तमान नियमों को बदलकर सरल बनाया जाना चाहिए, तभी पीड़ितों को सरकारी सहायता मिल सकेगी।
6 महीनों में 70 की मौत
सुलतानपुर जिले में बीते छह महीनों में 70 से अधिक लोगों की सर्पदंश से मौत हो चुकी है, लेकिन एक भी पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता राशि नहीं मिल सकी है। इसकी मुख्य वजह पीड़ित परिवार का यह साबित न कर पाना है कि मृतक की मौत सर्पदंश से हुई है। सुलतानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही पीड़ित परिवार को सरकारी मुआवजा मिलता है।
गुरुवार को सर्पदंश से एक और मौत
गुरुवार को भी जिले के गोसाईगंज थाना क्षेत्र के बनपुरवा गांव निवासी शिवकली पत्नी राम मदन पाल की मौत हो गई। सर्पदंश से हुई मौत के बाद जयसिंहपुर एसडीएम बिधेश हल्का लेखपाल के साथ मौके पर पहुंचे और लाश का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसडीएम बिधेश ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाने के बाद सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता पीड़ित परिवार को दी जायेगी।
तब तक नहीं होता किसी का पोस्टमार्टम
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. धर्मेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि अमूमन सर्पदंश से होने वाली किसी भी मौत के मामलों में तब तक पोस्टमार्टम नहीं कराया जाता था, जब तक पीड़ित परिवार पोस्टमार्टम कराने के लिए मांग नहीं करता था। लेकिन जब प्रदेश सरकार ने इसे आपदा घोषित कर दिया है तो ऐसे में सर्पदंश से हुई मौत की सूचना पर तहसीलदार, एसडीएम या नायाब तहसीलदार थाना पुलिस के साथ मौके पर पहुंच कर पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम कराने के लिए शव को भिजवाते हैं, तभी पोस्टमार्टम हो पाता है। उन्होंने बताया कि सर्पदंश से अस्पताल में हुई मौत के बाद भी चिकित्सक शव को पोस्टमार्टम के लिए तब तक नहीं भेजते, जब तक पीड़ित परिवार के लोग लिखकर नहीं देते।
मुआवजे के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट जरूरी
सरकारी मुआवजे के लिए अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट जरूरी है तो फिर सभी का पोस्टमार्टम क्यों नहीं होता? इस पर सीएमओ डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि कई बार किसी विशेष जहरीले सांप के काटने से व्यक्ति की घर पर ही मौत हो जाती है या फिर अस्पताल ले आते समय रास्ते में मौत हो जाती है। ऐसी दशा में लोग शव का पोस्टमार्टम नहीं कराते हैं। पोस्टमार्टम कराने में कई बार अस्पतालों के कर्मचारियों की भी लापरवाही की बात सामने आती है। इस सवाल के जवाब में सीएमओ कहते हैं अगर ड्यूटी पर तैनात मेडिकल स्टाफ पोस्टमार्टम कराने में हीलाहवाली करता है तो डीएम, एडीएम, सीएमएस व सीएमओ से शिकायत करनी चाहिए।
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मुआवजे मिलने में लंबा वक्त क्यों
अधिकारियों का कहना है कि सर्पदंश से मौत पर मृतक का पंचनामा व पोस्टमार्टम कराया जाता है। अगर बिसरा प्रिजर्व करने की आवश्यकता नहीं होती है तो मृतक के आश्रितों को सात दिन के भीतर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। कई बार पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट न होने पर सम्बंधित शवों का विसरा सुरक्षित रख लिया जाता है। ऐसी स्थिति में मृतक के परिजनों को तब तक सरकारी मदद नहीं मिल सकती है, जब तक विसरा की जांच विधि विज्ञान प्रयोगशाला से आ नहीं आ जाती। इसमें लंबा वक्त लग जाता है, जिसके चलते पीड़ित परिवार को समय पर मुआवजा नहीं मिल पाता।
पोस्टमार्टम न हो तो जनप्रतिनिधियों के प्रमाण पत्र पर मिले मुआवजा
जनकल्याण फाउंडेशन उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार यह मांग करते हैं कि सर्पदंश से हुई मौत के मामले में पीड़ित परिवार को मुआवजा (आर्थिक सहायता) दिलाने के लिए नियमों में बदलाव होना चाहिए। सर्पदंश से हुई मौत के ज्यादातर मामलों में पीड़ित परिवार को नियमों की जानकारी नहीं होती। उन्होंने कहा कि सर्पदंश से मौत पर पीड़ित परिवार को मुआवजा तय समय पर मिले, इसके लिए नियमों में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार से मांग की है कि अगर शव का पोस्टमार्टम न हो सके तो ग्राम प्रधान, पार्षद, सभासद, क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी), जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्रीय लेखपाल, कानूनगो पंचायत सेक्रेटरी, एडीओ पंचायत या अन्य जनप्रतिनिधियों के प्रमाण पत्र के आधार पर मुआवजा मिले।
जानें- किसने क्या कहा…
1. सर्पदंश के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही पीड़ित परिवार को सरकारी मुआवजा मिलता है।- डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी, सीएओ, सुलतानपुर

2. सर्पदंश से मौत के करीब 50 मामले आ चुके हैं, लेकिन पोस्टमार्टम सिर्फ आठ लोगों का ही कराया गया है।- डॉ. दीपक मिश्र, ईएमओ सुलतानपुर जिला चिकित्सालय
3. वर्तमान नियमों को बदलकर सरल बनाया जाना चाहिए, तभी पीड़ितों को सरकारी सहायता मिल सकेगी।- उमाकांत त्रिपाठी, नोडल अधिकारी, दैवीय आपदा प्रबंधन, सुलतानपुर

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