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एसईसीएल ने प्रभावित गांवों को मूलभूत सुविधा देना किया बंद, कोल डस्ट मिले पानी से बर्बाद हो रहे हैं खेत

SECL News: एसईसीएल की जद में 3 ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) तो आते हैं लेकिन पिछले 10 साल से इन गांवों के प्रभावितों को सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, ग्राम बड़सरा का जलस्तर (Water level) पहुंचा 800 फीट से भी नीचे, सड़क व स्वास्थ्य की सुविधा तक नहीं

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SECL News

Cold dust mixed water

भैयाथान. SECL News: कोरिया जिले में संचालित झिलमिली कोयला खदान के प्रभावित क्षेत्र में सूरजपुर जिले के तीन ग्राम पंचायत आते हैं लेकिन एसईसीएल द्वारा प्रभावित इन तीनो पंचायतों के लिए पिछले 10 सालों के दौरान एक भी सुविधा नहीं दी गई है। एसईसीएल प्रबंधन (SECL Administration) के जिम्मेदार अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वर्ष 1990 में यह कोयला खदान खोली गई थी। तब यह क्षेत्र मध्य प्रदेश राज्य में आता था और जिला अविभाजित सरगुजा था। उस दौरान खदान के आसपास के गांवों को खदान प्रभावित ग्राम पंचायत मानकर यहां के विकास कार्यों की जिम्मेदारी एसईसीएल को सौंपी गई थी।


जिला विभाजन के बाद ग्राम पंचायत बड़सरा, बसकर व करौंदा मुड़ा सूरजपुर जिले में शामिल कर लिए गए। जबकि खदान कोरिया जिले के क्षेत्र में हो गई। इसके बाद से एसईसीएल प्रबंधन ने इन गांवों की ओर ध्यान देना बंद कर दिया। आलम यह है कि प्रबंधन ने इन गांवों को प्रभावित क्षेत्रों की सूची से ही गायब कर दिया।

जबकि इन गांवों से खदान की दूरी दो से तीन किमी ही है। इसके बाद भी यह गांव मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। गांव में न तो सड़क की सुविधा है और न ही बिजली, पानी की समुचित व्यवस्था है। प्रभावित ग्राम बड़सरा, बसकर, करौंदा मुड़ा के पारा मोहल्ला की सड़कें अत्यंत जर्जर हैं।

गांवों में सामुदायिक भवन नहीं है। स्कूल भवन के छज्जे उड़े हुए हैं। जल स्तर (Water Level) बहुत नीचे चला गया है। बड़सरा में तो 800 फीट बोरिंग कराने के बाद भी पेयजल नहीं मिल रहा है, जिससे क्षेत्र ड्राई बेल्ट हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां की मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य, खेलकूद, सड़क व पेयजल और प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रबंधन की ओर से कुछ भी नहीं किया जाता है।

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कोल डस्ट मिले पानी से खेत हो रहे बर्बाद
खदान पहाड़ी क्षेत्र में ऊपर की तरफ होने और गांव तलहटी में बसे होने के कारण नाला के सहारे बहकर कोयले के कण खेतों में पहुंचकर उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रहे हैं। जबकि बारिश के दिनों में पहाड़ों से आने वाला कोयला मिश्रित पानी खेतों में बह रहा है। दो जिलों का मामला होने के कारण ग्रामीण तय नहीं कर पाते हैं कि हम अपनी शिकायत किस जिले के कलक्टर से करें।

बड़सरा क्षेत्र के जनपद सदस्य ने बैकुंठपुर एसईसीएल क्षेत्र के महाप्रबंधक को पत्र सौंपकर बताया है कि झिलमिली खदान से नाले के सहारे बहकर आ रहे कोयले का डस्ट व चूर्ण से सैकड़ों एकड़ खेत बंजर हो रहे हैं, इसलिए बहकर आ रहे काले पानी पर तत्काल रोक लगाए जाने तथा आश्रित ग्रामों के मूलभूत सुविधा हेतु राशि की मांग की है।

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दो जिलों में फंसे गांव के विकास कार्य
एसईसीएल के सब एरिया झिलमिली के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में हम सीएसआर मद को राज्य सरकार को दे देते हैं। जिसे जिले के कलक्टर राज्य सरकार की अनुशंसा पर खर्च करते है।

इसलिए जिला अलग होने व सीएसआर मद एसईसीएल के हाथ में न होने का दंश प्रभावित ग्राम झेलने को मजबूर हैं। खदान का क्षेत्र कोरिया जिला होने के कारण सीएसआर मद की राशि वहीं चली जाती है, जिसे कोरिया कलक्टर की मंजूरी से ही खर्च किया जाता है। जबकि सूरजपुर जिले के खाते में एक भी रुपए नहीं आते हैं।


10 साल पहले हुआ था कुछ काम
ग्रामीणों ने बताया कि 10 साल पहले ग्राम पंचायत बड़सरा में स्कूल की बाउंड्री वॉल, प्रतीक्षालय, तालाब सौंदर्यीकरण का काम किया गया था। इसके बाद आज तक कोई काम नहीं कराया गया है। जबकि खराब सड़कों पर चलना भी मुश्किल हो रहा है।


दोनों जिले के कलक्टर ये बोले
कोरिया जिले कलेक्टर श्याम धावड़े ने कहा कि आपके द्वारा इस मामले को संज्ञान में लाया गया है। कोल माइंस के अधिकारियों से बात कर उसका समाधान किया जाएगा। सूरजपुर जिले के कलक्टर गौरव कुमार सिंह ने कहा कि कलक्टर कोरिया से बात कर इस समस्या का समाधान करूंगा।